मुख्यपृष्ठस्तंभ‘राज'नीति : अब चने खाएंगे अधिकारी

‘राज’नीति : अब चने खाएंगे अधिकारी

रमेश सर्राफ धमोरा झुंझुनू

राजस्थान सरकार ने सरकारी बैठकों में चाय-नाश्ते पर होने वाला खर्च कम करने का निर्णय लिया है। कार्मिक विभाग ने आदेश जारी कर नाश्ते में मिठाई और नमकीन परोसने पर रोक लगाकर सरकारी बैठकों में अब नाश्ते में केवल भुने चने, मूंगफली, मखाने और मल्टी ग्रेन बिस्किट ही उपलब्ध करवाए जाएंगे। साथ ही ब्रांडेड बोतल बंद पानी की जगह अब कांच की बोतल में पानी मिलेगा। अब तक होने वाली बैठकों में मिठाई, महंगी नमकीन, समोसा और चिप्स सहित कई सामग्री परोसी जाती थीं, लेकिन अब खर्चों में कटौती का निर्णय लेते हुए साधारण नाश्ता उपलब्ध करवाया जाएगा। भाजपा सरकार का नया आदेश प्रशासनिक क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। आदेश में मुख्यमंत्री सचिवालय को अलग रखते हुए वहां होने वाली बैठकों में पूर्व की तरह नाश्ता उपलब्ध करवाया जाएगा। सचिवालय में बैठने वाले अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव स्तर के आईएएस अधिकारियों के साथ ही विभागाध्यक्षों, जिला कलेक्टरों सहित सभी अधिकारियों की अध्यक्षता में होने वाली बैठकों के लिए नया मेनू तय किया गया है।

वसुंधरा के बदले तेवर
राजस्थान में बीते दिनों भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद पार्टी की गतिविधियों से दूर रही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के तेवर अब बदले-बदले से नजर आने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वागत करने के बाद वसुंधरा एक बार फिर से सक्रिय हो गई हैं। इसको लेकर सियासत में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। बीते दिनों सियासत में काफी चर्चा रही थी कि वसुंधरा राजे खुद को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं। पार्टी गतिविधियों में उनकी अनुपस्थित का भी यही कारण बताया गया, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के जयपुर दौरे के समय एयरपोर्ट पर वसुंधरा राजे द्वारा उनकी अगवानी करने के बाद ही राजस्थान की सियासत में बदलाव देखने को मिल रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अचानक वसुंधरा के आवास पर मुलाकात करने पहुंचे, जहां उनमें आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर करीबन २० मिनट तक वार्ता हुई। सियासी गलियारों में चर्चा है कि वसुंधरा राजे को लोकसभा चुनाव के दौरान कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।

जूली का जलवा
राजस्थान विधानसभा के पहले सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के दौरान प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने ईआरसीपी पर सरकार को घेरते हुए कहा कि राजस्थान सरकार ने बिना पढ़े ही एमओयू साइन कर दिया है। सदन में पहली बार बिना किसी दस्तावेज के बहस हुई। जूली ने राज्यपाल के अभिभाषण को दिल्ली से आई पर्ची बताया। उन्होंने कहा कि राजस्थान में अब तक केवल एक वैâबिनेट बैठक हुई है। ऐसे में हम पूछना चाहते हैं कि सरकार १०० दिन में आगे जनता के लिए क्या करेगी? जूली ने राजीव गांधी युवा मित्रों का भी मुद्दा उठाते हुए कहा कि उनका क्या दोष है, जो हजारों की संख्या में युवा मित्र सर्द रात में सड़क पर बैठे हैं। अगर वर्तमान सरकार को राजीव गांधी का नाम पसंद नहीं है तो मैं प्रस्ताव करता हूं कि इन्हें अटल युवा मित्र नाम दे दीजिए, लेकिन उन बच्चों का रोजगार मत छीनिए। इतना टाइम होने के बाद भी अभी तक सरकार में इतना असमंजस क्यों बना हुआ है।

हिजाब पर लगेगी रोक
राजस्थान के स्कूलों और मदरसों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा रहा है। इसको लेकर शिक्षामंत्री मदन दिलावर ने अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में सभी छात्र-छात्राओं को निर्धारित ड्रेस पहनकर आने के नियम का सख्ती से पालन होगा। दिलावर ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दूसरे राज्यों में हिजाब पर पाबंदी को लेकर जानकारी एकत्रित करवाकर रिपोर्ट पेश की जाए। दिलावर ने इस संबंध में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी चर्चा की है। कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने भी शिक्षण संस्थाओं में हिजाब पर पूरी तरह से रोक लगाने की बात कही है। हिजाब को लेकर पिछले सप्ताह जयपुर के भाजपा विधायक बालमुकुंदाचार्य ने एक सरकारी स्कूल के कार्यक्रम में बयान दिया था। कांग्रेस विधायक रफीक खान ने इस मसले पर दो दिन बाद धरने पर बैठने की घोषणा की है। कर्नाटक में तत्कालीन भाजपा सरकार ने स्कूल और कालेजों में सभी तरह के धार्मिक पहचान वाले कपड़े पहनने पर रोक लगाई थी, जिसे कांग्रेस सरकार ने हटा दिया है।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

अन्य समाचार