प्राचीन राष्ट्रीय अनुभूति!
सारी प्राचीनता गर्व करने योग्य नहीं होती लेकिन प्राचीनता का बड़ा भाग प्रेरक और गर्व करने योग्य ही होता है।
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सारी प्राचीनता गर्व करने योग्य नहीं होती लेकिन प्राचीनता का बड़ा भाग प्रेरक और गर्व करने योग्य ही होता है।
Read moreसभी सभ्यताओं में प्रार्थना है। मैं विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूं। ईश्वर को जाना नहीं लेकिन प्रार्थना करता हूं। भारत
Read moreश्रद्धा भाव घट रहा है। श्रद्धा गहन आत्म विश्वास का पर्याय है। घने कोहरे या अंधकार में दूर तक नहीं
Read moreकोरोना महामारी के बाद अब बर्ड फ्लू का संकट है। पक्षियों के मांस से खाना बनाने वाले तमाम होटलों का
Read moreभारत उत्सव प्रिय देश है। सतत् कर्म यहां जीवन साधना है। पूरे वर्ष कर्म प्रधान जीवन और बीच-बीच में पर्व
Read moreभारतीय चिंतन की मूल भूमि लोकतंत्र है। अनेक विचार हैं। ८ प्रतिष्ठित दर्शन है। विचार भिन्नता है। सब मिलकर लोकतंत्र
Read moreचिकित्सा विज्ञान ने विस्मयकारी उन्नति की है। हृदय, गुर्दा जैसे संवेदनशील अंगों की शल्यक्रिया आश्चर्यजनक है। सामान्य बीमारियों के साथ
Read moreविश्व मानवता का सतत् विकास हुआ है। मनुष्य ने सुख स्वस्ति और आनंद के लिए लगातार प्रयत्न किए हैं। प्रकृति
Read moreहम भारतवासी बहुदेव उपासक हैं। लेकिन बहुदेववादी नहीं। बहुदेव उपासना हमारा स्वभाव है। शिव एशिया के बड़े भाग में प्रचलित
Read moreप्रकृति में अनेक अंश और अंग हैं। मनुष्य भी प्रकृति का भाग हैं। मनुष्य और प्रकृति के बीच स्थायी आत्मीयता
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