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डॉ. मनमोहन सिंह को लेकर फैलाया जा रहा भ्रम …धार्मिक ध्रुवीकरण की साजिश कर रहे मोदी …कांग्रेस का भाजपा पर हमला

सरकार जाने के डर से नरेंद्र मोदी निराश
सामना संवाददाता / मुंबई
देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने यह कभी नहीं कहा कि देश की संपत्ति पर पहला हक सिर्फ मुसलमानों का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंह के हवाले से जो बयान दिया है, वह पूरी तरह से गलत है। पूर्व पीएम के बयान से सिर्फ एक वाक्य लेते हुए नरेंद्र मोदी देश में गलत भ्रम पैâला रहे हैं। यह खुलासा कांग्रेस नेता व पूर्व सांसद डॉ. भालचंद्र मुणगेकर ने किया है।
तिलक भवन में सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए डॉ. भालचंद्र मुणगेकर ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को लेकर दिए गए बयान पर नरेंद्र मोदी की जमकर खबर ली। उन्होंने कहा कि ९ दिसंबर २००६ को राष्ट्रीय विकास बोर्ड की बैठक में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि ‘देश के दलितों, आदिवासियों, ओबीसी, महिलाओं, बच्चों का पूरा विकास होना चाहिए और अल्पसंख्यक समुदाय को भी इसका फायदा मिलना चाहिए। इस बैठक के बाद अहलूवालिया और उन्होंने खुद प्रेस कॉन्प्रâेंस की और जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक का मतलब न केवल धार्मिक अल्पसंख्यक नहीं बल्कि भाषाई अल्पसंख्यक भी है। बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया था। मोदी का यह कहना पूरी तरह से गलत है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का होगा और इसे अधिक बच्चों वाले मुस्लिम समुदाय के साथ साझा किया जाएगा। मोदी ने गलत बयान देकर धार्मिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति के लिए इस तरह का बयान देना उचित नहीं है। पहले चरण की १०२ लोकसभा सीटों के लिए मतदान हो चुका है और तस्वीर साफ हो गई है कि भाजपा चुनाव हारेगी। यही वजह है कि नरेंद्र मोदी ४०० के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाने से निराश और हताश हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता के मामले में भी भाजपा लोगों में भ्रम पैदा कर रही है। भाजपा लगातार ऐसी तस्वीर बना रही है कि मुस्लिम समुदाय समान नागरिक कानून को स्वीकार नहीं करता है। भाजपा नेता अपने घोषणापत्र के बारे में बात नहीं करते, क्योंकि लोगों को अब उन पर भरोसा नहीं है। उन्होंने २०१९ के वादों को ‘चुनावी जुमला’ बताकर लोगों को धोखा दिया है। साथ ही भाजपा डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान को भी स्वीकार नहीं करती है। इसलिए भाजपा नेता संविधान बदलने की बात कर रहे हैं। वाजपेयी सरकार के दौरान भी संविधान में बदलाव की कोशिश हुई थी। यह भाजपा सांसद अनंत कुमार हेगड़े और प्रधानमंत्री मोदी के आर्थिक सलाहकार विवेक देबरॉय भी सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि देश को नए संविधान की जरूरत है।

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