शिक्षा

दर्द का राजनीतिकरण
आज है एक मुद्दा गंभीर,
जिसके समाधान हेतु
शिक्षित होना है लाजिमी,
पर दर्द सहने वाला
नासमझ रहता अक्सर,
जुल्मी के मंसूबों के प्रति,
फिर बनावटी आंदोलन बनने में
देर आज तभी लगती नहीं !
यदि रखना है कायम,
दुनिया में वज़ूद अपना तो
शिक्षा ही है एकमात्र हथियार,
ज़ुल्म-ओ-सितम से लड़ने का !
हमारे लिए क्या है भला और क्या बुरा,
इसकी समझ होती सम्भव,
शिक्षा के प्रचार प्रसार से ही !
दर्द की ढाल बना कोई
बनने ना पाए बनावटी आंदोलन कहीं,
जिसमें सब मांगे हो जाएं गौण,
और ना हो पाए आगाज
दर्द का सियासती इस्तेमाल कहीं,
व्यक्ति यदि होगा शिक्षित
आवाज तभी अपनी बुलंद
कर सकता है समाज में तभी !
शिक्षा है महत्वपूर्ण उपाय जो
प्रताड़ित को देती है सहारा,
हक खुद के जान पाता है
समाज का शिक्षित व्यक्ति ही,
और आवाज़ बुलन्द करने में
हो पाता है सक्षम तभी ।

मुनीष भाटिया 

कुरुक्षेत्र

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