मुख्यपृष्ठनए समाचारमहाराष्ट्र में ईडी सरकार आने के बाद शिवभोजन का ‘सर्वर डाउन'

महाराष्ट्र में ईडी सरकार आने के बाद शिवभोजन का ‘सर्वर डाउन’

सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली तत्कालीन सरकार ने गरीबों को १० रुपए में भोजन दिया। राज्य में सरकार बदलने के बाद शिंदे सरकार के कार्यकाल में सर्वर डाउन होने से यह शिवभोजन योजना प्रभावित हुई है। ऐसे में इस भोजन पर निर्भर राज्य के गरीब भूखे लोग मरने के कगार पर हैं।
शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महाविकास आघाड़ी सरकार ने शिवभोजन योजना की शुरुआत की थी, ताकि गरीबों, असंगठित श्रमिकों, मजदूरों, बेघर नागरिकों, बाहरी गांवों के छात्र किसी भी परिस्थिति में भूखा न रहें और उन्हें मात्र १० रुपए में भरपेट भोजन मिले। इस उद्देश्य से राज्य सरकार ने राज्य में कई स्थानों पर शिवभोजन थाली केंद्र शुरू किए, जिसे गरीब लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली। शिवभोजन थाली केंद्र चलाने की अनुमति देते समय महिला स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता दी गई। कई महिला बचत समूह इन केंद्रों को बखूबी चला रहे हैं। उससे इन महिला स्व-सहायता समूहों के सदस्यों को रोजगार और आर्थिक स्थिरता भी मिली।
तत्कालीन सरकार की महत्वाकांक्षी शिवभोजन थाली योजना ने राज्य में गरीबों को १० रुपए में भोजन उपलब्ध कराया। कोरोना काल में यही थाली ५ रुपए में दी गई, लेकिन प्रदेश में सरकार बदलते ही इस योजना पर ‘सर्वर डाउन’ की मार पड़ गई। कई लोग थाली से वंचित रह रहे हैं क्योंकि मोबाइल ऐप बार-बार डाउनलोड न होने के कारण वे महीनों तक रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाते। सूत्रों ने बताया कि परिणामस्वरूप, लाभार्थियों की संख्या में ४० प्रतिशत की कमी आई है।
केंद्र संचालकों ने बताया कि जिन केंद्रों पर २०० थाली की अनुमति है, वहां प्रतिदिन १३० से १३५ और जहां १०० थाली की सीमा है वहां ६५ से ७० लाभार्थी ही मोबाइल ऐप पर पंजीकृत हैं। शिवभोजन थाली योजना की शुरुआत में लाभार्थियों की संख्या कुछ हजार थी। बाद में यह एक लाख तक पहुंच गई। उद्धव ठाकरे सरकार इसे दो लाख तक ले जाने की कोशिश कर रही थी। हालांकि, उसके बाद ही वेबसाइट के बार-बार बंद होने से पंजीकरण कराने और भोजन लेने वाले लाभार्थियों की संख्या में कमी आने लगी है। महाविकास आघाड़ी का घटक दल राकांपा (अजीत पवार समूह) भी सत्ता में है और छगन भुजबल के पास खाद्य आपूर्ति खाता है, लेकिन योजना की दिक्कतें दूर नहीं होने से लाभार्थी नाराजगी जता रहे हैं।

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