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महिलाओं के खिलाफ अपराध में यूपी अव्वल!… एक साल में १६ हजार से अधिक मामले

सामना संवाददाता / लखनऊ

 दहेज उत्पीड़न के ४,७००

 बलात्कार के १,५०० से अधिक मामले

 राष्ट्रीय महिला आयोग ने जारी किए आंकड़े

उत्तर प्रदेश को भाजपा नेतृत्व वाली योगी सरकार हर प्रकार से उत्तम प्रदेश बताने का प्रयास कर रही है। लेकिन प्रदेश उत्तम कैसे होगा यह सवाल महिला आयोग के द्वारा जारी आंकड़ों के बाद उठने लगा है। उत्तर प्रदेश को महिला आयोग ने अपराध के मामले में सबसे आगे बताया है। महिला आयोग के आंकड़े बताते हैं कि भाजपा की योगी सरकार प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध को रोकने में असफल साबित हुई है। पिछले एक साल में देश भर में महिलाओं के खिलाफ अपराध की २८,८११ शिकायतें मिलीं। इनमें से ५० प्रतिशत अर्थात १६,१०९ मामले सिर्पâ यूपी से रिपोर्ट किए गए। सबसे ज्यादा शिकायतें यौन उत्पीड़न को लेकर दर्ज हुई हैं। दहेज उत्पीड़न क़े ४,७०० से अधिक तो बलात्कार के १,५०० से अधिक मामले दर्ज हुए हैं जो अन्य राज्यों की तुलना बहुत अधिक हैं। महिला आयोग ने बताया कि घरेलू हिंसा के अलावा अन्य श्रेणियों के तहत भी उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज कराई गर्इं। आयोग के मुताबिक ‘यौन उत्पीड़न मामलों में घरेलू हिंसा को छोड़कर दूसरे प्रकार के उत्पीड़न के मामलों को दर्ज किया जाता है। आंकड़ों के अनुसार यौन उत्पीड़न की ८०५, साइबर अपराध की ६०५, पीछा करने की ४७२ और सम्मान से जुड़े अपराध की ४०९ शिकायतें दर्ज कराई गर्इं।

महाराष्ट्र भी कम नहीं

महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में महाराष्ट्र भी पीछे नहीं है, देश की राजधानी दिल्ली दूसरे नंबर पर हैं तो महाराष्ट्र भी तीसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र में भी भाजपा की सरकार है। गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र में अपराध को नियंत्रित करने का दावा भाजपा की ओर से किया जाता रहा है लेकिन आंकड़े कुछ और ही साबित कर रहे हैं। देवेंद्र फडणवीस पर विपक्ष ने कई बार गृह मंत्रालय नहीं संभाल पाने का आरोप भी लगाया है

अपराध के मामले में टॉप ५ राज्य

राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक, महिलाओं के खिलाफ दहेज उत्पीड़न आज भी जारी है। रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के प्रति पुलिस की उदासीनता, दुष्कर्म, यौन उत्पीड़न का प्रयास भी चिंताजनक तस्वीर पेश करता है। महिला आयोग ने बताया है कि सबसे ऊपर उत्तर प्रदेश है। दूसरे नंबर पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली है। महाराष्ट्र, बिहार और मध्य प्रदेश क्रमश: तीसरे, चौथे और पांचवें नंबर पर हैं। २०२२ में एक साल की अवधि में महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़ी कुल ३०,८६४ शिकायतें मिली थीं। जो पिछले आठ साल में सबसे अधिक था।

 महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामलों की संख्या में नियंत्रण के प्रयास कई राज्यों में पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं। इसके लिए राज्य की सरकारों को और जोर देकर महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित कानूनों को सख्ती से लागू करना होगा।
– रेखा शर्मा, अध्यक्ष, महिला आयोग

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