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इनसाइड स्टोरी : १६,१८० करोड़ के पेमेंट गेटवे घोटाले में नया मोड़ … मास्टरमाइंड का खेल खत्म!

अब खिलाड़ी व्यापारियों की तलाश
पुलिस ने मदद के लिए यूएई, सिंगापुर और हांगकांग की
सेंट्रल एजेंसियों को लिखा पत्र

ठाणे के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त पंजाबराव उगाले के नेतृत्व में ठाणे एसआईटी को बड़ी सफलता हाथ लगी है। १६,१८० करोड़ रुपए के बहुचर्चित पेमेंट गेटवे प्रâॉड के मास्टरमाइंड जितेंद्र पांडे को वाराणसी से गिरफ्तार कर मुंबई लाया गया है। पेमेंट गेटवे घोटाला २०२३ में सामने आया था। पिछले साल जून महीने में ऑनलाइन मनी ट्रांसफर करनेवाली कंपनी ‘पेगेट इंडिया’ के सॉफ्टवेयर सिस्टम को हैक कर कंपनी के अकाउंट से २५ करोड़ रुपए अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए गए। कंपनी की शिकायत पर जब ठाणे की श्रीनगर पुलिस ने जांच-पड़ताल शुरू की, तो उनके होश उड़ गए।

वाराणसी से मास्टरमाइंड गिरफ्तार
इस साइबर धोखाधड़ी के मुख्य आरोपी जितेंद्र पांडे को ठाणे एसआईटी ने यूपी के वाराणसी से गिरफ्तार किया है। घोटाला सामने आने के बाद पांडे लगातार देश के अलग-अलग शहरों में ठिकाना बदल रहा था। इस मामले में पुलिस ने पहले ही ११ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, जो फिलहाल जमानत पर हैं। पुलिस मामले को पुख्ता बनाने के लिए पांडे की गिरफ्तारी चाहती थी। पुलिस ने अलग-अलग आईपी एड्रेस को ट्रैक करना शुरू किया, तो पता चला कि पांडे वाराणसी में छिपा बैठा है। फिलहाल पांडे को सात दिनों की पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है। ठाणे पुलिस का कहना है कि चूंकि कई लेन देन में बड़ी रकम शामिल है, इसलिए मामले की तह तक पहुंचने में समय लगेगा।

घोटाले में गरीबों के खातों का इस्तेमाल
पेमेंट गेटवे घोटाला सामने आने के बाद साइबर पुलिस और फोरेंसिक डेटा विशेषज्ञों की एक टीम ने ११ आरोपियों की पहचान की, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से विभिन्न साझेदारी फर्म बनाकर जितेंद्र पांडे को विदेश में धन हस्तांतरित करने में मदद की। उन्होंने पैसे ट्रांसफर करने के लिए कथित तौर पर कई गरीब लोगों की फर्जी पहचान और बैंक खातों का इस्तेमाल किया। ३९ वर्षीय पांडे कॉमर्स ग्रेजुएट है, जिसने पेमेंट गेटवे घोटाले का नेतृत्व करने से पहले एक बैंकर के रूप में काम किया था। जुलाई में पहला मामला सामने आने के तुरंत बाद वह अपना फोन बंद करके लखनऊ भाग गया। इसके बाद अपने गृहनगर वाराणसी में छिप गया।

३० प्रतिशत कमीशन पर होती थी हेराफेरी
पता चला है कि फरारी के दौरान पांडे जब भी अपने परिवार या किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से संपर्क करना चाहता था, तो एक अलग आईपी पते का इस्तेमाल करता था और डोंगल चालू कर देता था। इसलिए पुलिस के लिए उसे ढूंढ पाना मुश्किल हो रहा था। लेकिन उसकी गतिविधि पर लगातार नजर रखने के कारण, वह ठाणे पुलिस टीम के जाल में फंस गया, जिसने उसे रविवार को वाराणसी से गिरफ्तार कर लिया। बैंकिंग क्षेत्र में काम करते हुए, पांडे ने आईटी और हवाला लेनदेन में जबरदस्त ज्ञान प्राप्त किया। व्यापारिक संस्थाएं टैक्स बचाने के लिए पांडे की मदद से चीन पैसा भेजती थीं। टैक्स-चोर व्यापारी पांडे को विभिन्न चैनलों के माध्यम से पैसा भेजते थे। पांडे प्रत्येक लेनदेन के लिए लगभग ३० प्रतिशत कमीशन लेता था।

खिलाड़ी कारोबारियों का पता लगाना चुनौती
पुलिस के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती उन व्यापारियों का पता लगाने की है, जिन्होंने टैक्स चोरी करने के चक्कर में पांडे की मदद ली और अलग-अलग माध्यमों से उसे पैसे ट्रांसफर किए थे। इस मामले में पांडे को मिलाकर अब तक १२ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस ने अब तक १०८ गवाहों से इस मामले में पूछताछ की है। फिलहाल चार्जशीट दायर होने के बाद पहले से गरफ्तार किए गए ११ आरोपियों को जमानत मिल गई है। ठाणे पुलिस ने मामले की तह तक पहुंचने के लिए संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर और हांगकांग के केंद्रीय प्राधिकरण को पत्र लिखकर मदद मांगी है।

अप्रैल २०२३ में हुआ था पेमेंट गेटवे घोटाला
पेमेंट गेटवे घोटाला अप्रैल २०२३ में हुआ था। पुलिस ने जुलाई में ठाणे के वागले इस्टेट स्थित एक पेमेंट गेटवे कंपनी के एस्क्रो खाते से २५ करोड़ रुपए की साइबर धोखाधड़ी की जांच करते हुए इस रैकेट का भंडाफोड़ किया था। यह पाया गया कि २५ करोड़ रुपए में से १ करोड़ ३९ लाख रुपए की रकम वाशी और बेलापुर में कार्यालयों वाली कंपनी रियाल एंटरप्राइजेज को ट्रांसफर की गई थी। आगे की जांच से पता चला कि रियाल एंटरप्राइजेज और उसकी पांच साझेदार कंपनियों द्वारा इस्तेमाल किए गए २६९ बैंक खातों में से कुछ खाते बेहद गरीब लोगों के नाम पर थे।

कई अनैतिक तरीकों का होता था इस्तेमाल
पांडे और उनके सहयोगियों के पास कई अनैतिक तरीके थे। माल ढुलाई शुल्क के नाम पर, वह बाहरी प्रेषण के माध्यम से देश के बाहर पैसा भेजने के लिए नकली उत्पादों का आयात और निर्यात करता था। विदेशी कंपनी से लेनदेन करने के लिए नकली उत्पादों और बैंक खातों के लिए प्रामाणिक दिखने वाली कागजी कार्रवाई की गई थी। चूंकि अधिकांश भुगतान कई चैनलों के माध्यम से होते थे, इसलिए वे भारत सरकार से बड़ी मात्रा में कस्टम ड्यूटी और आयकर बचाने में सक्षम थे।

पेमेंट गेटवे घोटाले के मुख्य सूत्रधार
अमोल आंधले उर्फ अमन उर्फ रोहन केदार ने पांडे को गरीबों के नाम के सैकड़ों अलग-अलग बैंक खाते बनाने में मदद की।

अनूप दुबे उर्फ अंश ने ९८ पार्टनरशिप फर्म और १८ प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां बनाकर फर्जी आयात-निर्यात कारोबार स्थापित करने में मदद की।

संजय गायकवाड़ और दिनेश शिर्के ने अवैध धन के लेनदेन के लिए १२ बैंक खातों के साथ रियाल एंटरप्राइजेज सहित पांच साझेदारी फर्म खोलीं।

संदीप नकाशे और राम बोहरा ने अवैध धन के लेनदेन के लिए दो प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां और २९ अलग-अलग बैंक खाते बनाए।

पांडे की बैंकिंग नौकरी में उनके सहकर्मी भूपेश अग्रवाल और महेंद्र जैन ने लदान के बिलों के नकली दस्तावेज बनाने में मदद की।

गौरव बंसल, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट, तीन महिला कर्मचारियों की मदद से आरोपी को आयकर से बचने के लिए १५ सीबी प्रमाणपत्र देता था।

सतिंदर सिंह ने फर्जी आयात-निर्यात कारोबार के लिए टैक्स से बचने के लिए पांडे के साथ साजिश रची। वह चीनी व्यापारियों से खरीदे गए उत्पादों का कम मूल्य दिखाता था और उन्हें आरोपी द्वारा शुरू की गई निजी फर्म के माध्यम से बाहरी प्रेषण के नाम पर पूरी राशि भेजता था। उन्होंने अपना सारा लेन देन हांगकांग स्थित एक बैंक के माध्यम से किया।

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