अजय भट्टाचार्य
मनीष की आज पेशी
त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ मनीष कश्यप को आज बेतिया अदालत में पेश होना होगा। मामला मझौलिया थाना कांड संख्या १९३/२०२१ के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक पारस पकड़ी के शाखा प्रबंधक के साथ दुर्व्यवहार करने एवं सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में कश्यप नामजद है। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने सेंट्रल जेल मदुरई के अधीक्षक के वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से यूट्यूबर मनीष कश्यप की हाजिरी के अनुरोध को इनकार कर दिया है। न्यायालय ने अधीक्षक को हर हाल में आगामी २६ जून को सेंट्रल कारा मदुरई से बेतिया न्यायालय में हाजिर कराने का आदेश दिया है। २० मार्च २०२३ को मझौलिया थाना कांड के नामजद अभियुक्त मनीष कश्यप के अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में आवेदन देकर मझौलिया थाना कांड संख्या १९३/२०२१ रिमांड कराने का अनुरोध किया था। इससे पहले १७ मार्च २०२३ को मझौलिया पुलिस ने इस केस में न्यायालय से कुर्की जब्ती आदेश प्राप्त किया था। कुर्की करने के लिए पुलिस पहुंची भी थी। अगले दिन १८ मार्च को मनीष कश्यप ने जगदीशपुर थाना में आत्मसमर्पण कर दिया था, क्योंकि तमिलनाडु के मामले में बिहार आर्थिक अपराध इकाई की पुलिस जांच कर रही थी। इसलिए मझौलिया पुलिस मनीष को इस केस में रिमांड के लिए बेतिया न्यायालय में पेश नहीं कर सकी।
शेट्टार को एमएलसी टिकट
कांग्रेस ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ३० जून को होनेवाले विधान परिषद चुनावों के लिए उम्मीदवार बनाया है। शेट्टार भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे और कांग्रेस की टिकट पर हुबली धारवाड़ सीट से विधानसभा चुनाव में उतरे भी थे, मगर हार गए थे। शेट्टार के अलावा पार्टी लघु सिंचाई मंत्री एन. एस. बोसराजू और पूर्व एमएलसी तिप्पन्नप्पा कामकनूर को भी एमएलसी उम्मीदवारी मिली है। शेट्टार का कार्यकाल १४ जून २०२६ तक रहेगा। जब बोसेराजू सिद्धारमैया वैâबिनेट का हिस्सा बने तब सभी चौंके थे, क्योंकि वह न तो विधायक थे और न ही एमएलसी। ऐसा माना जाता है कि अपने बेटे रवि बोसराजू को रायचूर शहर सीट से चुनाव लड़ने से पीछे हटाने पर सहमत होने के लिए उन्हें वैâबिनेट में जगह दी गई है। कैबिनेट में शामिल होने के तुरंत बाद उनके एमएलसी चुने जाने की उम्मीद थी। कामकानूर कलबुर्गी जिले के रहनेवाले पूर्व एमएलसी हैं। इस सीट के प्रबल दावेदार बाबूराव चिंचनसूर एक दुर्घटना के बाद स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। चिंचनसूर भी भाजपा छोड़कर कांग्रेस के टिकट पर गुरमिटकल से विधानसभा चुनाव लड़े थे पर हार गए थे। चिंचनसूर की तरह कामकानूर भी कोली समुदाय से हैं। चिंचनसूर, आर. शंकर और लक्ष्मण सावदी के इस्तीफे के कारण तीन सीटों पर चुनाव जरूरी हो गया था।
अपने-अपने स्थापना दिवस
बंगाल के स्थापना दिवस को लेकर बवाल अभी थमा नहीं है। बीते मंगलवार को राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंदा बोस ने राजभवन में राज्य का ‘स्थापना दिवस’ समारोह आयोजित किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पश्चिम बंगाल की जनता को राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर बधाई दी थी। राष्ट्रपति के संदेश को राज्यपाल ने पढ़कर सुनाया। समारोह में राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर इस कार्यक्रम पर आपत्ति जताई थी और इसे एकतरफा बताया था। जिस तरह से भाजपा इतिहास को अपने हिसाब से बदलने में जुटी है, बंगाल का स्थापना दिवस उसी कड़ी का हिस्सा है। ममता बनर्जी ने अपनी चिट्ठी में हैरानी जताते हुए कहा था कि राज्य की स्थापना किसी विशेष दिन नहीं हुई थी और कम से कम किसी २० जून को तो नहीं। वैसे बंगाल विभाजन का इतिहास खंगालने पर पता चलता है कि ब्रिटिश काल में बंगाल और आज का बांग्लादेश एक ही था। बंगाल को विभाजित करने के निर्णय की घोषणा तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन ने १९ जुलाई, १९०५ को की थी। बंगाल विभाजन १६ अक्टूबर, १९०५ को प्रभाव में आया था। इस निर्णय के विरोध में ‘बंग भंग’ आंदोलन शुरू हुआ। तब अंग्रेजों ने विभाजन को भंग कर १९११ में पूर्वी हिस्से व पश्चिमी हिस्से को फिर से एक कर दिया। भारत को आजादी मिलने के साथ ही बंगाल का पुन: विभाजन हुआ। २० जून, १९४७ को बंगाल विधानसभा में विधायकों की अलग-अलग दो बैठकों में बंगाल को बांटने का निर्णय लिया गया। बंगाल को भारत का हिस्सा बनाने वालों में से एक ने बहुमत से प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। दूसरी बैठक में विधायकों ने पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) बनाने का प्रस्ताव दिया। भारत के हिस्से वाले बंगाल का विलय १८ अगस्त को हुआ था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)
(उपरोक्त आलेखों में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं। अखबार इससे सहमत हो यह जरूरी नहीं है।)