रक्षा का त्यौहार है देखो आया रक्षा बंधन l
रिश्तों की पावनता को करता है ये वंदन ll
भाई बहन का नेह असीमित धागे ने बांधा
रेशम की इस डोरी ने कितने झगड़ों को साधा l
चीर द्रौपदी को देने भाई ने किया समर्पण l
रक्षा का त्योहार है देखो आया रक्षा बंधन ll
बचपन की यादों को समेटा मोह की इक थाली में l
भाई का मुखड़ा हर्षित है रोली की लाली में l
गुंथे नेह का धागा बने कलाई का ये बंधन l
रक्षा का त्यौहार है देखो आया रक्षा बंधन ll
नहीं पराई होती बहना भाई ही तो अपना l
सदा सुखी हो भैया उसका हर बहना का सपना l
भाई की कल्याण भावना रखे उसका कण कण l
रक्षा का त्यौहार है आया देखो रक्षा बंधन ll
डॉ कनक लता तिवारी