सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई सेंट्रल-सूरत के बीच चलने वाली आइकॉनिक ट्रेन फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस ११७ साल पुराने अपने बेहतरीन इतिहास के साथ-साथ डबल डेकर के लिए भी पहचानी जाती थी। लेकिन ट्रेन की इस शानदार पहचान को सुरक्षा के नाम पर अब बदल दिया गया है। रविवार को मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर गुजरात की रेल राज्यमंत्री दर्शना जरदोष ने हरी झंडी दिखाकर फ्लाइंग रानी को रवाना किया. लेकिन हैरानी की बात यह है कि फ्लाइंग रानी को चार-पांच साल पुराने एलएचबी रेक के साथ रवाना किया गया। इतना ही नहीं पश्चिम रेलवे मंत्री के उद्घाटन की व्यवस्था में इतना व्यस्त हो गया कि इस ट्रेन के सेकंड सिटिंग चेयर कार कोच की कटी-फटी सीटों को भी दुरुस्त नहीं कर पाया। पश्चिम रेलवे ने लीपापोती कर अपनी गलतियों को छिपाने के लिए फटीे सीटों पर टेप चिपका दिया था। बता दें कि फ्लाइंग रानी की शुरुआत १९०६ में हुई थी।
यात्री हुए नाराज
फ्लाइंग रानी के एलएचबी कोच के पहले दिन ही यात्रियों ने पश्चिम रेलवे की खामियां गिनाना शुरू कर दिया। यात्रियों ने गुजरात से मुंबई आर्इं मंत्री साहिबा तक को नहीं छोड़ा, यात्रियों ने वर्तमान सुविधा को गलत बताते हुए फिर से डबल डेकर कोच की मांग की।
नई एलएचबी फ्लाइंग रानी की खामियां
१. डबल डेकर को सिंगल डेकर से बदला गया
२. डबल डेकर में बैठने की क्षमता १३६ सीट और सिंगल डेकर में १०२ सीट
३. एलएचबी के नाम पर पुराने कोच जोड़े गए हैं
४. डबल डेकर की तुलना में एलएचबी कोच में कम खाली जगह होती है।
५. एफसी कोच में पानी का लीकेज होना
६. कटीे-फटी सीटों को टेप से जोड़ा जाना
७. डबल डेकर कोच की तुलना में सिंगल देकर कोच के दरवाजों की कम चौड़ाई
८. जगह कम होने के कारण भगदड़ मचने की संभावना