- श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर हुआ प्रिया-प्रियतम की आलौकिक लीलाओं का मंचन
कमलकांत उपमन्यु / मथुरा
प्रिया-प्रियतम की आलौकिक लीलाओं के बीच श्रीकृष्ण-जन्मभूमि की विश्वप्रसिद्ध लठामार होली का शुक्रवार शाम आयोजन भव्यता के साथ हुआ। केशव वाटिका के लीलामंच पर फाग महोत्सव में गाए जाने वाले लोकगीत, भजन, रसिया, छंद आदि का सुंदर प्रस्तुतीकरण किया गया। श्रद्धालुजन प्रिया-प्रियतम के दर्शन से अविभूत होकर खूब थिरके। इस दौरान श्रीकृष्ण जन्मस्थान होली के रंग में डूब गया। हजारों श्रद्धालु यहां गुलाल और रंग में सराबोर होकर जमकर थिरके। शुक्रवार को केशव वाटिका के प्रांगण में भव्य और दिव्य लठमार होली का आयोजन हुआ। इस दौरान विदेशी श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण की लठमार होली का जमकर लुफ्त उठाया। शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर दोपहर बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ हुआ। मंच पर भक्तों ने जहॉ पहलें राधा-कृष्ण व ग्वालवालों के साथ फूलों की होली का आनंद लिया। इसके अलावा मंच पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। वहीं सांय होली खेलने के लिए बरसाना से बुलाई गई-गोपी गोपिकाओं की प्रशिक्षण टीम पहुंची और उन्होंने मंच पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर शाम पांच बजे लट्ठमारी होली शुरू कर दी। लट्ठमार होली से पूर्व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शृंखला प्रारंभ हुई, जिसमें कलाकारों ने मयूर नृत्य, चुरकुला नृत्य व फूलों की होली के मनमोहन कार्यक्रम प्रस्तुत किए जिसे देख उपस्थित जन समूह भाव विभोर हो गया। कलाकारों की प्रस्तुति और राधाकृष्ण के युगल स्वरूप पर हुई फूलों की होली का अनूठा भाव देख हर कोई वाह-वाह कर उठा। हर कोई इस नजारे से भाव विभोर हो गया, जिसे देखकर लाखों की संख्या में आए श्रद्धालुओं ने लठमार होली का आनंद ले रहे थे। जैसे-जैसे हुरियारे हुरियारानों पर रंग डालते हुरियारिनें लाठियां ग्वालों पर मारने लगती। यह नजारा देख ऐसा लग रहा था जैसे स्वयं राधाकृष्ण आकर साक्षात होली खेल रहे हो। एक ओर जहां लट्ठमार होली का आनंद आ रहा था, वहीं दूसरी ओर आकाश में गुलाल गुलाल ही उड़ा नजर आ रहा था। वहीं भक्तगण भी एक दूसरों पर गुलाल वर्षा कर होली की मस्ती का आनंद ले रहे थे। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर लट्ठमार होली को देखने आनेवाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए गए थे।