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हिटलरशाही पर उतरे अधिकारी!  बिना मुआवजा दिए आदिवासियों के घरों पर चलाया बुलडोजर!

  • बेघर होने के बाद भीषण धूप में तपने को मजबूर छोटे-छोटे बच्चे और बीमार
  • पुलिस ने बुजुर्गों, महिलाओं को खींचकर घरों से निकाला

योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
जल, जंगल, जमीन के संरक्षण में आदिवासियों की शानदार भूमिका रही है। उन्होंने खूंखार जानवरों का मुकाबला किया। जंगलों को साफ किया, गांव बसाए और उन इलाकों में बस गए। देश के समग्र विकास के लिए परियोजनाओं की आवश्यकता है, इस भावना को ध्यान में रखते हुए पालघर के हजारों किसानों और आदिवासियों ने अपने उपजाऊ खेत और घर का मोह छोड़ दिया। यहां तक कि अपनी आजीविका से समझौता करते हुए विस्थापन को स्वीकार किया। लेकिन कई जगहों पर उनका सब कुछ छीन लेने के बाद भी उन्हें मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। महत्व की बात तो ये है कि सरकार के हिटलरशाही अधिकारियों द्वारा कई आदिवासियों के घरों पर बुलडोजर चला दिया गया। इससे न सिर्फ ये लोग बेघर हो गए हैं, बल्कि इनकी रोजी-रोटी पर भी गहरा असर पड़ रहा है।
बता दें कि पालघर के डहाणू इलाके में मुआवजा दिए बगैर मुंबई-बड़ौदा एक्सप्रेसवे के लिए जारी भूसंपादन का कार्य पूरा करने के लिए आदिवासियों को उनके घरों से जबरन खींचकर बाहर निकाला गया और फिर उनके घरों पर बुलडोजर चला दिया गया। इलाके के बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएं अधिकारियों के सामने रोते-बिलखते और मिन्नतें करते रहे लेकिन अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी। देखते ही देखते लोगों का आशियाना उनसे छीन लिया गया। साथ ही जिसने भी इसका विरोध किया, पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया।
आदिवासियों में आक्रोश
मुंबई-बड़ौदा एक्सप्रेसवे के भूसंपादन का कार्य तेजी से जारी है लेकिन कई जगहों पर आदिवासियों की शिकायत है कि परियोजना से प्रभावितों को मुआवजा नहीं मिला है। धानीवरी इभाड पाड़ा में रहने वाले ८ आदिवासी परिवारों पर सरकारी कहर टूटा है। लोगों का कहना है कि उन्हें घर और पेड़ों का मुआवजा नहीं मिला और प्रशासन ने जबरन उन्हें घर से बाहर निकाल कर उनके घरों पर बुलडोजर चला दिया। प्रशासन की कार्रवाई के बाद आदिवासी अपने बच्चों सहित भीषण गर्मी में भूखे-प्यासे पेड़ों के नीचे रहने को मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि वह करीब तीन पीढ़ियों से यहां रह रहे है। इसके बावजूद मुआवजे का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है। इस मामले को लेकर अदिवासियों में आक्रोश व्याप्त है।
मुंबई-बड़ौदा एक्सप्रेसवे का काम युद्ध स्तर पर जारी
बता दें कि पालघर जिले में मुंबई-बड़ौदा एक्सप्रेसवे का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। इस एक्सप्रेसवे के लिए पालघर जिले के वसई, पालघर, डहाणू और तलासरी तालुका में करीब ९०१ हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। परियोजना से लगभग ५१ गांव प्रभावित हुए हैं लेकिन कई जगहों पर इन गांवों में रहने वाले आदिवासियों के नाम पर जमीन के कागजात नहीं हैं। ऐसे में इन जमीनों पर कई पीढ़ियों से रहकर खेती करने वाले आदिवासियों को न तो उनके घरों का मुआवजा दिया जा रहा है और न उनके पे़ड़ों का। प्रशासन केवल मूल मालिक को जमीन का मुआवजा दे रहा है। ऐसे में वर्षों से रह रहे आदिवासी मुआवजे से वंचित हो रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार उजाड़ रही है तो कहीं बसा भी दे।
सरकार उनका हक दे
ग्रामीण शैलेश तामड़ा कहते हैं कि पुलिस की मदद से जब प्रशासन लोगों के घरों पर बुलडोजर चला रहा था तो बूढ़े, बच्चे, महिलाएं बिलख-बिलख कर रो रहे थे। अधिकारियों से मिन्नतें कर रहे थे लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई और सभी को परिवार सहित सड़कोें पर लाकर छोड़ दिया गया। तामड़ा कहते हैं कि आदिवासी परियोजना का विरोध नहींr कर रहे हैं। लेकिन सरकार उन्हें विस्थापित कर रही है तो कहीं और स्थान पर बसाकर सिर्फ उन्हें उनका हक दे।

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