एजेंसी / नई दिल्ली
धरती पर लगातार बढ़ रही जनसंख्या की वजह से ट्रैफिक जाम की स्थिति बन जाती है, जिससे गाड़ियों की गति धीमी हो जाती है। अब खबर आ रही है कि इस ट्रैफिक जाम की समस्या सिर्फ धरती पर ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी खड़ी हो गई है। बता दें कि अंतरिक्ष में भी प्रदूषण और भीड़ है, जो इंसानों की वजह से ही है। उपग्रही मलबे से राह में बाधा आ रही है, `ट्रैफिक’ जाम लग रहा है, जिससे सैटेलाइट्स प्रक्षेपण का प्रोग्राम गड़बड़ा जा रहा है।
हाल ही में इसरो ने एक पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) लॉन्च किया था। इस रॉकेट को सुबह ६ बजकर ३० मिनट पर लॉन्च किया जाना था, लेकिन इसमें देरी हो गई। रॉकेट को सुबह ६ बजकर ३१ मिनट पर लॉन्च किया गया। इस एक मिनट की देरी को लेकर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा है कि अंतरिक्ष में ट्रैफिक जाम होने के कारण रॉकेट लॉन्च करने में देरी हुई।
अमेरिका का ४० फीसदी मलबा
अमेरिकी अंतरिक्ष कमान का अनुमान है कि अंतरिक्ष मलबे के २६,७८३ टुकड़े आकार में १० सेंटीमीटर से बड़े हैं। अंतरिक्ष का ४० फीसदी मलबा अमेरिका का है। इसरो ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इनमें से २८ फीसदी रूस के और १९ फीसदी चीन के हैं। इसरो ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि भारत द्वारा बनाया गया अंतरिक्ष मलबा में केवल २१७ वस्तुएं हैं, जो केवल ०.८ प्रतिशत है।
धरती पर भी गिरते हैं टुकड़े
गौरतलब है कि अधिकतर मानवनिर्मित मलबे के पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही उसमें आग लग जाती है। इस प्रकार ज्यादातर धरती पर गिरने से पहले ही नष्ट हो जाते हैं, वहीं पृथ्वी के ७० प्रतिशत हिस्से में पानी है। यदि अंतरिक्ष का कोई मलबा समुद्र में गिरता है तो किसी को पता भी नहीं चलता और वह डूब जाता है। यही कारण है कोई भी स्पेस एजेंसी स्पष्ट रूप से यह नहीं बता पाती कि आखिर कितना `स्पेस कचरा’ धरती पर कब और किन-किन इलाकों में गिरा। फिर भी कई बार भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में ऐसे मानव निर्मित मलबे के अंतरिक्ष से गिरने की कई खबरें सामने आ चुकी हैं।
खतरे से अनजान
नेचर एस्ट्रोनॉमी के जुलाई २०२२ में प्रकाशित एक अध्ययन में अनुमान लगाया जा चुका है कि अगले १० सालों में मानवनिर्मित कचरे के गिरने से इंसानों और जानवरों दोनों के हताहत होने की संभावना है। स्टडी में सामने आया कि जकार्ता, ढाका, लागोस, न्यूयॉर्क, बीजिंग और मॉस्को में ऐसी घटनाएं होने की सबसे ज्यादा संभावना है। हालांकि, अभी तक अंतरिक्ष से कोई मलबा गिरने के कारण किसी तरह की दुर्घटना से मौत नहीं हुई है, लेकिन चोट लगने और संपत्ति को नुकसान के मामले सामने आए हैं। साथ ही इस अध्ययन में ये भी कहा गया है कि हर दिन और हर मिनट अंतरिक्ष से हमारे ऊपर मलबा बरसता है। यह एक ऐसा खतरा है, जिससे हम लगभग पूरी तरह से अनजान हैं।
ट्रैफिक जाम होने की वजह
अंतरिक्ष में उपग्रहों से निकलने वाला मलबा बढ़ गया है। इसरो ने हाल ही में इस पर एक अध्ययन किया है। इसमें पाया गया कि अंतरिक्ष में लगभग २७,००० वस्तुएं हैं। इसरो ने कहा कि इसमें से ८० फीसदी तक सैटेलाइट का मलबा है। इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा कि १० सेंटीमीटर से कम आकार की वस्तुओं की संख्या लगभग लाखों में है। ये मलबा अधिकतम १७,५०० मील प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रहा है, जो किसी उपग्रह अथवा अंतरिक्ष यान को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी है। इसरो का अनुमान है कि एंटी-सैटेलाइट परीक्षणों से उत्पन्न अंतरिक्ष मलबा भी अधिक है। ऐसा लगता है कि वो बर्बादी चीन, अमेरिका, भारत और रूस के परीक्षणों के कारण हुई है। इसरो ने कहा कि ३० जुलाई को किए गए पीएसएलवी परीक्षण में अंतरिक्ष में कचरे के जाम होने के कारण देरी हुई।