शिकायत कर्ता को गलत तरीके से बैक डेटेड पत्र देने का मामला
प्रशासनिक कारवाई कर 6 महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश
अमर झा /सामना
मीरा-भायंदर मनपा में भ्रष्टाचार का ऐसा बोलबाला है कि अधिकारी जुर्माना देने को तैयार रहते है लेकिन आरटीआई द्वारा मांगी गई सूचना देने में आनाकानी करते है। मीरा-भायंदर मनपा से जुड़ी एक ऐसा ही मामला है जिसमे महाराष्ट्र राज्य सूचना आयुक्त शेखर चन्ने ने मीरा भायंदर महानगरपालिका प्रभाग समिति क्रमांक ४ की तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) तथा सहायक आयुक्त कांचन गायकवाड़ पर सूचना का अधिकार अधिनियम २००५ के अंतर्गत कलम २०(१) के तहत चार अलग-अलग मामलों में कुल १ लाख रुपयों का जुर्माना लगाया है। आरोप है कि राज्य सूचना आयुक्त द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस के बाद गायकवाड़ ने गलत तरीके से पूर्व-तिथि (बैक डेटेड) पत्र तैयार कर शिकायतकर्ता को सूचना उपलब्ध कराई थी
दरअसल, मीरा रोड स्थित गीता नगर, न्यू मीरा पैराडाइज सोसाइटी के निवासी ने नवंबर २०२१ के दरमियान सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत तत्कालीन प्रभाग अधिकारी कांचन गायकवाड़ से उक्त इमारत को मनपा द्वारा जारी रिपेयरिंग परमिशन से संबंधित जानकारी मांगी थी। प्रभाग अधिकारी कांचन गायकवाड़ ने नियमानुसार 30 दिन के भीतर कोई जवान नहीं दिया। तब आवेदक ने अधिकार के तहत प्रथम अपील दर्ज की। प्रथम अपीलीय अधिकारी ने ११ जनवरी २०२२ को दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद प्रभाग अधिकारी तथा लोक सूचना अधिकारी गायकवाड़ को 15 दिनों के भीतर अभिलेख में उपलब्ध जानकारी आवेदक को बिना मूल्य देने का आदेश दिया। बावजूद इसके गायकवाड़ ने आवेदक को कोई जानकारी नहीं दी। इस पर आवेदक ने महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग (कोंकण खंडपीठ) में द्वितीय अपील दर्ज की। लगभग 3 साल की लंबी देरी के बाद राज्य सूचना आयुक्त ने मामले कि गंभीरता का संज्ञान लेते हुए लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) कांचन गायकवाड़ को मामले का दोषी पाते हुए 1 लाख का जुर्माना लगाया। है।