-स्थानीय जनता ने व्यक्त किया आक्रोश
रामदिनेश यादव / मुंबई
राज्य का वन विभाग एक तरफ पर्यावरण की दृष्टि से बड़ी संख्या में वृक्ष लगाए जाने का दावा कर रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ वृक्ष तो छोड़िए वन विभाग की जमीन भी उसकी नाक के नीचे से गायब हो रही है। यह मामला है नालासोपारा के पूर्वी इलाके की है। हाईवे से सटी वन विभाग का लगभग १०० एकड़ जमीन अधिकारियों की मिली भगत से अतिक्रमणकारियों को बेच दी गई है। इन जमीनों पर भूमाफिया बड़े पैमाने पर जहां अनधिकृत निर्माण कर रहे हैं तो वही क्षेत्र में पहाड़ों का क्षरण किया जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग ५० हजार से ज्यादा वृक्ष अब तक काट दिए गए हैं, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। वन विभाग की ओर से पर्यावरण संरक्षण के लिए वन क्षेत्र बढ़ाने की बात तो छोड़िए वह यहां पहाड़ों पर हरे-भरे वृक्ष बचाने में भी असमर्थ है।
इस बात को वन विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि यहां पर बड़े पैमाने पर जमीन वन विभाग के हाथ से निकल चुकी है। वन विभाग के अधिकारियों के पास बड़े पैमाने पर इस मामले में शिकायतें भी दर्ज कराई गई है। कई बार तो कुछ जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए आदेश भी जारी किए गए हैं। लेकिन उनका अनुपालन अब तक नहीं हो पाया है। सूत्रों की माने तो इस क्षेत्र के वन विभाग के अधिकारी ही भूमाफियाओं के साथ मिलकर वन विभाग की जमीन बेच रहे हैं। आश्चर्य है कि इस संबंध में पिछले ३ महीने से वन विभाग मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के पास भी लगातार शिकायतें जा रही हैं लेकिन उनकी तरफ से भी किसी तरह की कार्रवाई के संकेत नहीं मिल रहे हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट और शिकायतकर्ता राजकुमार के अनुसार, चिंचोटी, राजीवली भोयदापाडा, तुलींज, गोखिवरे, कोल्ही, पेल्हार, कनेर गांव के लगभग ३५ सर्वे नंबर की जमीनों पर अतिक्रमण हो चुका है। यहां दुकान, गाले, कारखाने और गोदाम बनाए जा रहे हैं। राजकुमार के अनुसार वन विभाग के अधिकारी वन विभाग की जमीनों को भूमिमाफियाओं को बेच रहे हैं। शिकायत करने वालों पर जानलेवा हमले भी किए जाते हैं। यहां तक कि पुलिस भी हमलावरों पर कार्रवाई नहीं करती।