योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
मां ही मंदिर, मां ही पूजा, मां से बढ़के कोई न दूजा। इन पंक्तियों में केलवे के रहने वाले १४ साल के प्रणव सालकर ने सही साबित कर दिया है। प्रणव ने अपनी मां को पीने के पानी के लिए दर -दर की ठोकरें खाते देखा तो उससे रहा न गया और घर के करीब ही पीने के पानी के लिए एक कुआं खोद डाला। प्रणव के इस काम की चौतरफा प्रशंसा हो रही है।
गर्मियों के शुरू होते ही पानी की कमी से पालघर जिले के ज्यादातर हिस्से जूझ रहे हैं। कहीं पानी का लेवल नीचे चला गया है तो कहीं स्रोत सूख गए हैं। जिले में पर्याप्त बारिश होती है, लेकिन इलाके के पहाड़ी और पथरीले होने के कारण पानी रुक नहीं पाता है। इसका असर ये है कि गर्मी के दिनों में चार महीने लोगों को पीने के पानी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
केलवे के धावांगे पाडा गांव की करीब ७०० जनसंख्या है। यहां ज्यादातर भूभाग खारलैंड है, जिससे बोरिंग सहित पानी के अन्य स्रोतों से पानी खारा निकलता है। गांव के महाराष्ट्र ग्रामीण जल आपूर्ति योजना के तहत रविवार, मंगलवार, गुरुवार को पानी की सप्लाई होती है, लेकिन सप्ताह में ग्रामीणों को सिर्फ तीन दिन ही पानी मिलने से गांव में पानी की किल्लत बनी रहती है। प्रणव का परिवार भी पानी की समस्या से परेशान था। प्रणव की मां दर्शना और पिता रमेश खेतिहर मजदूर के रूप में काम करते हैं। प्रणव की मां काम से थक-हार कर आने के बाद आधा किलोमीटर दूर पानी लेने जाती थी। पानी के लिए उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है।
प्रणव ने कहा कि मां को होने वाली रोजाना की परेशानी को देखकर उससे रहा नहीं गया और घर के पास ही एक कुआं खोदना शुरू किया। खुदाई के दौरान उसे पत्थर भी मिले लेकिन बिना हिम्मत हारे पिता की मदद से प्रणव ने कुएं की खुदाई का कार्य पूरा कर लिया और बारह से पंद्रह फीट गहरा गड्ढा खोदने के बाद इसमें पानी मिला है, जिसके बाद प्रणव के परिवार और अन्य परिजनों में खुशी का ठिकाना नहीं था। कुआं कच्चा होने की वजह से इससे निकलने वाले पानी का उपयोग बर्तन धुलने, कपड़ा धुलने सहित अन्य कार्यों के लिए सालकर परिवार कर रहा है। नौवीं में पढ़ने वाले प्रणव के जज्बे की वजह से बहुत हद तक पानी की किल्लत से उन्हें राहत मिल गई है।