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१ घंटे में भारत के हाथ से फिसले २ मेडल …टूट सकता था ५६ साल का रिकॉर्ड

– पेरिस ओलिंपिक में अब तक हो जाते ८ पदक
पेरिस ओलिंपिक में ५ अगस्त २०२४ को एक घंटे के भीतर दो बार भारतीयों का दिल टूटा। शाम करीब ७.३० बजे लक्ष्य सेन मेन्स सिंगल्स के ब्रॉन्ज मेडल मैच में हार गए। लक्ष्य सेन पहला गेम २१-१३ से जीत गए थे, लेकिन अगले दोनों गेम १६-२१, ११-२१ से गवां बैठे। इससे पहले निशानेबाजी में स्कीट मिक्स्ड टीम इवेंट में भारत की महेश्वरी चौहान और अनंत जीत सिंह नरूका की जोड़ी १ अंक के अंतर से ब्रॉन्ज मेडल गवां बैठी। महेश्वरी चौहान और अनंत जीत सिंह नरूका का मैच भारतीय समयानुसार शाम ०६.३० बजे शुरू हुआ था और थोड़ी ही देर में भारतीयों को दिल तोड़नेवाली खबर मिली। महेश्वरी चौहान और अनंत जीत सिंह नरूका अगर ब्रॉन्ज मेडल जीत जाते तो निशानेबाजी की स्कीट स्पर्धा में भारत का यह पहला ओलिंपिक पदक होता और ५२ साल का सूखा खत्म हो जाता। इसी तरह यदि लक्ष्य सेन कांस्य पदक जीत जाते तो वह पुरुष एकल में पदक जीतनेवाले भारत के पहले बैडमिंटन खिलाड़ी होते। ओलिंपिक में बैडमिंटन को पहली बार १९७२ में शामिल किया गया था। हालांकि, इसके बाद १९७६, १९८० और १९८४ में बैडमिंटन ओलिंपिक का हिस्सा नहीं रहा, लेकिन १९८८ के बाद से यह खेल लगातार शामिल है।

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