-गुजरात लॉबी को ही सताया ‘गुजरात मॉडल’ का डर
–आरएसएस की गुप्त मुहिम की चौतरफा चर्चा
सामना संवाददाता / लखनऊ
एनडीए गठबंधन को २९२ सीटें मिल चुकी हैं। बावजूद इसके केंद्र में उनकी सरकार बनने में तमाम अड़चनें पेश आ रही हैं। एनडीए के घटक दल सरकार के लिए दबी जुबान से नए चेहरे पर सहमति चाहते हैं और इसी कवायद में भाजपा के दो ‘नाथ’ द्वारा बुद्धि और न्याय के ‘नितीन’ गठबंधन बनाने की चर्चा उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली के गलियारों तक तेज है। दावा किया जा रहा है कि दो ‘नाथों’ का ‘नितीन’ गठबंधन दो को अनाथ करने निकल पड़ा है, जिसे नागपुर से भी समर्थन मिल रहा है।
पिछले दस वर्षों में केंद्र में मोदी और शाह ने जिस तरह से निरंकुश, निष्ठुर और निर्दयी सरकार चलाई है, उससे विपक्ष की तुलना में सत्ता पक्ष में ज्यादा असंतोष है। यह असंतोष उस समय और बढ़ गया, जब भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरएसएस के महत्व को ही नकार दिया। लिहाजा, माना जा रहा है कि २ नाथों के इस ‘नितीन’ गठबंधन को आरएसएस का भी गुप्त समर्थन प्राप्त है। यह गठबंधन अब ‘गुजरात मॉडल’ की तर्ज पर ही गुजरात लॉबी से पार्टी को छुटकारा दिलाने की दिशा में काम कर रहा है। किस तरह से प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री बनते ही अपने नवीनतम मॉडल के जरिए केशुभाई पटेल से शंकर सिंह वाघेला को निपटाया था, भाजपा का यह त्रि-नेताओं का गठबंधन गुजरात लॉबी को निपटाएगा। सूत्रों के इन दावों में कितनी स्पष्टता है और कितनी अस्पष्टता यह तो आनेवाला वक्त ही बताएगा, परंतु केंद्र में बैठे भाजपा के कद्दावरों को भाजपा के भस्मासुर ब्रिगेड का डर तो सता ही रहा होगा। उनके द्वारा पहले गुजरात में फिर देश में लागू किए गए ‘गुजरात मॉडल’ का खुद पर इस्तेमाल होने का खतरा भी नजर आ ही रहा होगा।