बांग्लादेश में इन दिनों हिंसक विरोध प्रदर्शनों के कारण खूब उथल-पुथल मची है, हालांकि इसके बावजूद म्यांमार से कई रोहिंग्या मुसलमान सीमा पारकर बांग्लादेश भागने की कोशिश में जुटे हैं। म्यांमार से भाग रहे रोहिंग्या मुसलमानों के ऐसे ही एक समूह पर बॉर्डर के पास ड्रोन से हमला किया गया। इस ड्रोन अटैक में महिलाओं और बच्चों सहित करीब २०० लोगों के मारे जाने की खबर हैं। मिली जानकारी के अनुसार, चार चश्मदीदों, कार्यकर्ताओं और एक राजनायिक ने इन ड्रोन हमलों के बारे में बताया, जिसमें बांग्लादेश की सीमा पार करने का इंतजार कर रहे परिवारों को निशाना बनाया गया था। कई चश्मदीदों ने बताया कि हमले के बाद लोग शवों के ढेर के बीच अपने मृत और घायल रिश्तेदारों की पहचान करने के लिए भटक रहे थे।
अराकन आर्मी म्यांमार में राखीन जातीय समूह की सैन्य शाखा की एक सैन्य शाखा है। हालांकि, इस आर्मी ने हमले की किसी भी तरह की जिम्मेदारी से इनकार किया है।
ये हमला तब हुआ, जब कुछ रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश की सीमा से सटे इलाके में एक नटी के पास नाव का इंतजार कर रहे थे। ये हमला म्यांमार के पश्चिमी रखाइन राज्य में बांग्लादेश की सीमा के पास हुआ है। लोग बचने के लिए सीधे नदी में कूद गए। ये लोग बांग्लादेश में नफ नदी पार करके माउंगडॉ शहर में भीषण लड़ाई से भागने की कोशिश कर रहे थे।
अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा सहायता समूह, डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा शुक्रवार, ९ अगस्त को जारी एक बयान में कहा गया है कि वह रोहिंग्या मुसलमानों पर हुए हमलों के बाद उनका इलाज कर रही है और चोटिल लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है, जिनका इलाज चल रहा है वे वैसे लोग हैं जो बांग्लादेश की सीमा पार करने में कामयाब रहे हैं।
म्यांमार की केंद्र सरकार से स्वायत्तता की मांग कर रही अराकान आर्मी ने नवंबर, २०२३ में अपना राखीन आक्रमण शुरू किया और पड़ोसी चिन राज्य में एक सहित १७ टाउनशिप में से नौ पर नियंत्रण हासिल कर लिया है। वह जून से ही सीमावर्ती शहर माउंगडॉ पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा है. २०१७ में, एक सैन्य आतंकवाद विरोधी अभियान में रोहिंग्या समुदाय के कम से कम ७४०,००० लोगों को सुरक्षा के लिए बांग्लादेश भेज दिया था, लेकिन ७ साल के बाद वे लोग अब भी वहां शिविरों में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। वे वापस म्यांमार आना चाहते हैं, लेकिन देश के अस्थिर हालातों की वजह से वे ऐसा न करने को मजबूर हैं।