मुख्यपृष्ठसमाज-संस्कृतिगणतंत्र दिवस के अवसर पर हिंदी प्रचार एवं शोध संस्था का 242वां...

गणतंत्र दिवस के अवसर पर हिंदी प्रचार एवं शोध संस्था का 242वां आयोजन संपन्न

सामना संवाददाता / मुंबई

हिंदी प्रचार एवं शोध संस्था मुंबई द्वारा न्यु सी ब्यु, न्यु रविराज कॉम्प्लेक्स, जेसल पार्क चौपाटी, भाईंदर-पूर्व में 76वें गणतंत्रता दिवस के अवसर पर संस्था की 242वीं मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन डॉ. उमेश चंद्र शुक्ल के संयोजन में किया गया।
इस अवसर पर डॉ. सुधाकर मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित कवि सम्मेलन में मिश्र ने ‘ले प्रजातंत्र का सुख अनंत आया बसंत आया बसंत’। मुख्य अतिथि श्रेयस्कर पत्रिका के संपादक वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कृपाशंकर मिश्र ने ‘जो समझते प्रेम की भाषा उसे ये प्रेम अर्पित है।’ डॉ. उमेश चंद्र शुक्ल ने गजल कहा ‘शोलों से खेला हमने बस जुनून था, बुझते हुए चिरागों को जलाते रहेंगे’।। एवं ‘दिल मेरा घटनाओं से अनजान नहीं था, भरा पूरा था परिवार कोई मेहमान नहीं था’।। ‘पढ़ लिख जवां हुए तो हम मजबूर हो गए, अनपढ़ था मेरा गाँव मगर मजबूर नहीं था’।। गजल पढ़ें तो मार्कंडेय त्रिपाठी ने ‘विकसित राष्ट्र बनेगा भारत’। शिवपूजन सिंह ‘गूर्दा मरीज का चुराते देखा’। विजय नाथ मिश्र ने ‘उत्तर से दक्षिण तक देखा मेरा देश रंग बिरंगा है’। उपेंद्र पाण्डेय ने ‘जहां से प्यार मिटाने पर तुली है दुनिया’। अमरनाथ द्विवेदी ने ‘आज गणतंत्र है’। अरुण दुबे ‘जय भारती की जय जय हो’। गणतंत्रता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम का संचालन संस्था के महासचिव डॉ. उमेश चंद्र शुक्ल ने किया एवं विजय नाथ मिश्र ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र पाण्डेय, भोलानाथ तिवारी भारतांचली की विशेष गरिमामय उपस्थिति रही। मीरा-भाईंदर के पत्रकार एवं गणमान्य लोगों की सक्रिय सहभागिता ने कार्यक्रम को विशेष बना दिया। लोगों ने कार्यक्रम की भूरि-भूरि सराहना की।

अन्य समाचार