सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में जाली कागजात के आधार पर ६६१ स्कूलों को मान्यता दिए जाने की बात कल विधानसभा में शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने स्वीकार की। मान्यता देते समय कागजात की जांच नहीं की गई थी। ऐसा सवाल उपस्थित किया गया। इसके पीछे निश्चित तौर पर एक टोली काम कर रही है, ऐसा संशय भाजपा विधायक आशीष शेलार ने व्यक्त किया। इसके साथ ही उन्होंने इसकी जांच विशेष दल (एसआईटी) से कराने की मांग की।
राज्य के अनधिकृत स्कूलों पर कार्रवाई के संदर्भ में विधानसभा में कल तारांकित प्रश्न के माध्यम से उठाए गए सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने फर्जी स्कूलों का ब्यौरा सदन में प्रस्तुत किया। राज्य में कुल ६६१ फर्जी स्कूल हैं, जिसमें १६० मदरसों का भी समावेश है। अन्य ५०१ स्कूलों में ७८ स्कूल बंद हैं। २६ स्कूलों पर १ लाख रुपए दंड लगाया गया है। ३७८ स्कूल शुरू हैं, उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए समिति बनाई गई थी। समिति की रिपोर्ट आने के बाद इन स्कूलों को नियमित करने पर विचार किए जाने की जानकारी केसरकर ने दी। अधिकृत स्कूलों में मुंबई में ८८ स्कूल बंद हुए हैं तो पुणे में ३२, कोल्हापुर में २७, छत्रपति संभाजीनगर में ६, नागपुर में ३५, अमरावती में २ और नासिक में १० स्कूल बंद किए गए हैं।
विद्यार्थियों के साथ आधार कार्ड नहीं
राज्य के अनुदानित स्कूलों की मान्यता और अनुदान के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है, लेकिन राज्य में ३ लाख ८ हजार विद्यार्थियों के पास आधार कार्ड नहीं है। ऐसी जानकारी सदन में केसरकर ने दी। इसी प्रकार राज्य में लाखों विद्यार्थी पोषण आहार से वंचित हैं। राज्य में ४,६५० लड़के और ४,६७५ लड़कियां ऐसे कुल ९,३०५ बच्चे स्कूल से बाहर हैं, ऐसी जानकारी भी शिक्षा मंत्री ने सदन में दी।
विद्यार्थियों को गणवेश
सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को नि:शुल्क गणवेश देने की घोषणा स्कूली शिक्षा मंत्री ने की थी। परंतु स्कूलों के शुरू हुए बहुत दिन हो गए, लेकिन हजारों विद्यार्थियों को गणवेश व अन्य स्कूली सामग्री नहीं मिली। उक्त सवाल का जवाब देते हुए केसरकर ने कहा कि गणवेश सिलाई का काम महिला बचत गट को दिया जाएगा।