सामना संवाददाता / मुंबई
मध्य रेलवे की लोकल और एक्सप्रेस सेवाएं तकनीकी खराबी के कारण बाधित होती हैं इसलिए यात्रियों की यात्रा समय से नहीं हो पाती है। हालांकि, पिछले साल अप्रैल से जून महीने की तुलना में इस साल सिग्नल सिस्टम, रेलवे इंजन में खराबी और रेलवे ट्रैक के चटकने की दर में मात्र २७.५४ फीसदी की कमी आई है।
चूंकि मध्य रेलवे पांच मंडलों में बंटा हुआ है। इसके मुंबई, भुसावल, नागपुर, पुणे, सोलापुर पांचों मंडलों में १ अप्रैल से १२ जून २०२२ तक लगातार ब्रेकडाउन हुआ, इसलिए तकनीकी ब्रेकडाउन दर ५९.६७ प्रतिशत थी। इस वर्ष तकनीकी विफलता की दर में पिछले वर्ष से ज्यादा फर्क नहीं आया है। वर्तमान में मध्य रेलवे पर तकनीकी विफलता की दर ३२.१३ प्रतिशत है।
१२४ बार सिग्नल फेल हुए
इस साल अप्रैल से जून के बीच ७४ लोको ब्रेकडाउन हुए। स्थानीय इकाइयों में ३३ डिफेक्ट के मामले सामने आए। इस साल रेलवे ट्रैक टूटने के १४५ मामले सामने आए हैं। इसके अलावा सिग्नल फेल होने के १२४ मामले आए हैं। रेलवे के समयपालन की कमी के कारण सेंट्रल रेलवे की १ अप्रैल से १२ जून तक ३७ हजार ४० मेल-एक्सप्रेस चली हैं, वहीं प्रतिदिन १,८१० लोकल सेवाएं चली हैं। अप्रैल से जून २०२३ के दौरान मध्य रेलवे पर मेल-एक्सप्रेस की समयपालनता ८५ प्रतिशत और स्थानीय समयपालनता ९५ प्रतिशत है। आपातकालीन चेन पुलिंग व अन्य समस्याएं मेल-एक्सप्रेस के देरी से चलने की वजह होती है। इसके अलावा यात्रियों द्वारा रेलवे ट्रैक पार करने की घटनाएं, रेलवे ट्रैक पर आत्महत्याएं, खराब मौसम, रेलवे रूट पर फाटकों का बार-बार खुलना और ट्रेन में मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टरों को बुलाए जाने की घटनाएं ट्रेनों में देरी का कारण बनती हैं।
रेलवे ट्रैक पार न करने की अपील
पूरे मध्य रेलवे में समानांतर सड़क फाटकों को स्थायी रूप से बंद करने का काम चल रहा है। साथ ही इमरजेंसी चेन खींचने वाले यात्रियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। मध्य रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसके साथ ही रेल यात्रियों से बार-बार रेलवे ट्रैक पार न करने की अपील की जा रही है और एस्केलेटर, लिफ्ट, पैदल यात्री पुल के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है।