मुख्यपृष्ठनए समाचारकूपर में प्रोफेसरों के ५० फीसदी पद खाली...सरकार को सुध नहीं!...भगवान भरोसे...

कूपर में प्रोफेसरों के ५० फीसदी पद खाली…सरकार को सुध नहीं!…भगवान भरोसे चल रही छात्रों की पढ़ाई…मरीजों को इलाज कराने में भी हो रही परेशानी

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई

मुंबई मनपा के प्रमुख अस्पतालों में से एक कूपर इन दिनों कबाड़ होने की राह पर है। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, इस अस्पताल में प्रोफेसरों के करीब पचास फीसदी पद रिक्त हैं। इस वजह से छात्रों की पढ़ाई भगवान भरोसे ही चल रही है। इसी के साथ ही अस्पताल में न केवल चिकित्सकों, बल्कि अन्य स्टाफ की भी भारी कमी है। इसका असर सीधे तौर पर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है। अस्पताल में स्वास्थ्य से जुड़ी बुनियादी सुविधाएं न मिलने से इसका असर मरीजों की देखभाल पर पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि मुंबई विलेपार्ले स्थित कूपर अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब २,५०० मरीज इलाज के लिए आते हैं। साथ ही १५० से २०० के आस-पास मरीजों को विभिन्न वॉर्डों में भर्ती कराया जाता है। इतना ही नहीं रोजाना लगभग ३० से ३५ सर्जरियां भी होती हैं। इस अस्पताल में हर साल करीब २०० मेडिकल छात्रों का एडमिशन होता है। अस्पताल में अत्याधुनिक कार्डियक वैâथीटेराइजेशन, डायलिसिस विभाग और ह्रदय रोग से संबंधित आईसीयू समेत कई अन्य सुविधाएं हैं। इसके बावजूद कुप्रबंधन के चलते यह अस्पताल असुविधाओं का सामना कर रहा है। इस पर अस्पताल प्रशासन और मनपा स्वास्थ्य विभाग विशेष ध्यान नहीं दे रहा है।
प्राध्यापकों के खाली हैं ७१ पद
आरटीआई एक्टिविस्ट चेतन कोठारी द्वारा मांगी गई जानकारी में कूपर अस्पताल प्रशासन की ओर से बताया गया है कि यहां प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल १५२ पद मंदूर हैं। इसमें से कुल ७१ पद रिक्त हैं। अस्पताल प्रशासन ने जानकारी दी है कि प्रोफेसर के सात, एसोसिएट प्रोफेसर के १०, असिस्टेंट प्रोफेसर के ५१, चिकित्सा अधीक्षक का एक और महिला चिकित्सा अधीक्षक के दो पद रिक्त चल रहे हैं। इन पदों को भरने में खासा रुचि मनपा की ओर से नहीं दिखाई दे रही है।
इन पदों पर भी हैं रिक्तियां
अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, यहां कुल २८४ पद मंजूर किए गए हैं। मौजूदा समय में इसमें से १०० पोस्ट भरे हैं, जबकि आधे से ज्यादा यानी १४८ पद वैकेंट चल रहे हैं। इसमें ईसीजी, लैब, मानसोपचार, सिपाही समेत अन्य कई पद हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि अस्पताल में ईसीजी टेक्निशियन का एक ही पद मंजूर है, जो खाली है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिरकार अस्पताल में मरीजों का ईसीजी कौन करता है।

अन्य समाचार

एक हैं हम