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देश के ६० प्रतिशत युवाओं पर ई-सिगरेट का नशा!

अध्ययन में हुआ खुलासा

सामना संवाददाता / मुंबई
सामान्य सिगरेट के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन ई-सिगरेट की जानकारी कुछ को ही है। हिंदुस्थान में १५ से ३० साल के आयु के करीब ६० फीसदी युवा भविष्य में ई-सिगरेट की चपेट में आ सकते हैं। वर्तमान में भी कई युवा ई-सिगरेट के मकड़जाल में फंस चुके हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा एक नए अध्ययन में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, यह अध्ययन देश के ४५६ एवं विश्व में ४,००७ लोगों के एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण के आधार पर किया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मस्तिष्क के विकास पर निकोटीन के प्रतिकूल प्रभावों और उपकरणों में मौजूद अन्य रसायनों से संभावित नकारात्मक परिणामों के कारण युवा लोगों में ई-सिगरेट के उपयोग की संवेदनशीलता एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है। संस्थान के रिसर्च फेलो सुधीर राज थाउट ने कहा कि इस बात की चिंता बढ़ रही है कि हिंदुस्थान में युवा ई-सिगरेट के उपयोग के प्रति अतिसंवेदनशील होते जा रहे हैं। इस ई-सिगरेट के उपयोग के जोखिम और प्रभाव को खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान अनिवार्य है।
५१ फीसदी लोगों में उत्सुकता
सर्वे में पता चला है कि हिंदुस्थान में ५१ प्रतिशत लोग जिन्होंने पहले कभी भी ई-सिगरेट का इस्तेमाल नहीं किया था, वे इसके बारे उत्सुक थे। ४९ प्रतिशत ने कहा कि अगर किसी दोस्त के द्वारा पेश की जाती है तो वह उसका इस्तेमाल करेंगे और ४४ प्रतिशत का इरादा ई-सिगरेट का उपयोग अगले वर्ष करने का था। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि सर्वे में हिस्सा लेने वाले ४७ प्रतिशत हिंदुस्थानियों ने ई-सिगरेट का विज्ञापन देखा था। ये परिणाम यूके में ६३ प्रतिशत, चीन में ५१ प्रतिशत और ऑस्ट्रेलिया में ३० प्रतिशत थे।
सबसे बड़े बाजारों में शामिल है देश
हिंदुस्थान में तंबाकू का बाजार दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, लगभग २७ प्रतिशत हिंदुस्थानी आबादी किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करती है।

६६ प्रतिशत युवाओं को लत लगने का खतरा
अध्ययन में अधिकांश हिंदुस्थानी अच्छे पढ़े -लिखे और उनका अमीर घरानों से ताल्लुक था। हालांकि, ६६ प्रतिशत युवाओं का मानना है कि ई-सिगरेट की लत लग सकती है। ये युवा मानते हैं कि यह हानिकारक है। वहीं ऐसा सोचनेवाले आस्ट्रेलियाई युवाओं की संख्या ८७ और ८३ प्रतिशत है। शोधकर्ताओं ने इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ ई-सिगरेट के विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की अपील की है।

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