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मुंबई में बिना ‘ओसी’ के ७० फीसदी इमारतें! …कुंभकर्णी नींद में है मनपा


नागरिकों का हो रहा शुद्ध उत्पीड़न
हाई कोर्ट ने लगाई फटकार

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में लगभग ७० प्रतिशत इमारतों को कई वर्षों से मनपा द्वारा ओसी नहीं दिया गया है। हाउसिंग सोसायटी अपनी इमारतों के निर्माण को नियमित करने के लिए आवेदन करती है, लेकिन वे आवेदन वर्षों तक मनपा के पास ही फाइलों में पड़े धूल फांक रहे होते हैं। मनपा गहरी नींद में है। रामायण में कुंभकर्ण छह महीने बाद जागता था। लेकिन वर्षों बाद भी मनपा नहीं जागती है। इस तरह नागरिकों का शुद्ध उत्पीड़न हो रहा है। इन शब्दों में कल फटकार लगाते हुए उच्च न्यायालय ने नींद से बेहाल मुंबई मनपा प्रशासन की बखियां उधेड़ दी।
अंधेरी की ७४ वर्षीय महिला उत्सव बाफना और उनके बेटे निशांत बाफना ने एड. निष्ठा मलिक के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उनकी याचिका पर न्यायमूर्ति महेश सोनक और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। ‘अरिहंत’ अपार्टमेंट के डेवलपर ने निवासियों को बिल्डिंग को ‘ओसी’ न मिलने की बात छिपाते हुए एक तरह से गुमराह करके घर पर कब्जा दे दिया। निवासियों से ‘मेंटनेंस’ भी वसूल किया। हालांकि, पानी और अन्य भुगतानों के पैसे मनपा के पास नहीं भरे। बकाया वसूलने के लिए मनपा द्वारा इमारत में पानी की आपूर्ति बंद करने के बाद निवासियों को पता चला कि उन्हें डेवलपर ने ठग लिया है। एड. असीम नाफडे ने याचिका में कहा है कि इसके बाद निवासियों ने ओसी पाने और इमारत को नियमित करने के लिए मनपा को शुल्क का भुगतान करने की तैयारी दिखाई। लेकिन मनपा ने १४ वर्षों तक उनके आवेदन का ठीक से जवाब नहीं दिया।

१४ वर्षों में भी कैसे नहीं जागी मनपा?
नींद के मामले में मुंबई मनपा ने रावण के भाई कुंभकर्ण को भी पीछे छोड़ दिया है। कुंभकर्ण छह महीने बाद जागता था, लेकिन मुंबई मनपा १४ साल से सो रही है। आखिर १४ साल बाद भी मनपा की नींद वैâसे नहीं खुली? इस तरह का सवाल न्यायाधीश कमल खाता ने पूछा है।

अधिकारियों के नाम दो, उन्हें सीधे जेल भेजो!
कानून का कोई सम्मान नहीं करता। हम सिर्फ आदेश देते हैं। यंत्रणा में उनकी कोई परवाह नहीं है। हमें अब सख्त रुख अपनाना होगा। कानून से समझौता करनेवाले मनपा अधिकारियों के नामों की सूची दो, हम उन्हें सीधे जेल में भेजेंगे। खंडपीठ ने कहा कि वेट एंड वाच.. मनपा को कोर्ट की ताकत दिखाते हैं। इस तरह दम भी मनपा को खंडपीठ ने दिया। हाई कोर्ट के कड़े रुख के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि इससे हजारों इमारतों को राहत और ओसी भी मिलेगी।

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