सामना संवाददाता / मुंबई
देश के ७० फीसदी कपल्स अपने पार्टनर के खर्राटों से परेशान है और वह अपने पार्टनर के खर्राटों की आवाज से नींद में एक बार जरूर जागते हैं। जबकि ३२ फीसदी कपल को यह महसूस होता है कि उनके पार्टनर के खर्राटों की आवाज चलती हुई मोटरसाइकिल के जैसी ही है। इस बात का खुलासा भारत में मैट्रेसेस (गद्दों) के प्रमुख ब्रैंड सेंचुरी मैट्रेसेस द्वारा किए गए सर्वेक्षण में हुआ है। वर्ल्ड स्लीप डे के मौके पर हिंदुस्थानी अपनी नींद की गुणवत्ता को कितना महत्व देते हैं यह पता लगाने के उद्देश्य से यह सर्वेक्षण किया गया। सर्वे से प्रमुख रूप से ६७ फीसदी लोगों ने महसूस किया कि खर्राटों का संबंध दिनभर की थकान से जोड़ा जा सकता है। इसका सेहत और नींद की गुणवत्ता से काफी कम संबंध है। इसके अलावा करीब ४५ फीसदी लोग खर्राटों का संबंध मोटापे से जोड़ते हैं। अधिकांश लोगों का यह विश्वास है कि खर्राटों को साधारण उपाय से काबू में किया जा सकता है। इसके लिए आसपास का माहौल बदलने की जरूरत नहीं होती। हालांकि, कई कारकों से यह पता लगा कि भारतीय अब अपनी गहरी नींद को अहमियत देने लगे है। वह अपनी लाइफस्टाइल और सोने की आदतें बदलने के लिए आपस में बातचीत भी करते हैं। ३६ फीसदी लोगों ने माना कि गहरी नींद में सोने के लिए सही गद्दा और तकिया बहुत जरूरी है। सेंचुरी मैट्रेसेस के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर उत्तम मालानी ने कहा कि सर्वे के नतीजे नींद के मुद्दे पर लोगों से जागरूक होने का आह्वान करते है। अगर कोई पार्टनर काफी तेज खर्राटे लेता हो तो इससे उसकी सेहत पर असर पड़ सकता है और आपसी संबंध भी खराब हो सकते हैं। वर्ल्ड स्लीप डे पर किए गए इस सर्वे के साथ हमारा लक्ष्य उन मुद्दों पर लोगों को जागरूक करना है, जिससे लोगों की नींद खराब होती है। हम लोगों को बेहतर नींद लेने में मदद करने के लिए अपना योगदान कर रहे हैं और उन्हें एंटीमाइक्रोबियल ट्रीटेड मैट्रेस एवं पिलोज़ के साथ अच्छी नींद देने वाले प्रोडक्ट्स मुहैया करा रहे हैं ताकि उन्हें अच्छे से नींद आ सके। डॉ. जगदीश चतुर्वेदी, नोज एवं साइनस सर्जन बंगलुरू ने कहा कि सर्वे के नतीजों से पता चलता है कि अब ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी नींद से जुड़े मुद्दों, जैसे खर्राटों की समस्या के प्रति जागरूक होने लगे हैं और इसे स्वीकार भी कर रहे हैं। अब लोगों ने तरह-तरह के उपायों से इस समस्या के निपटारे की कोशिश करनी शुरू कर दी है।