मुख्यपृष्ठनए समाचाररोखठोक : महाराष्ट्र की भूमि पर ‘इंडिया' का बिगुल

रोखठोक : महाराष्ट्र की भूमि पर ‘इंडिया’ का बिगुल

संजय राऊत

महाराष्ट्र ने ‘इंडिया’ की जीत का बिगुल बजाया। मुंबई की बैठक का यही फल है। शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा मेजबानी स्वीकारी गई ऐतिहासिक बैठक थी। उस बैठक का खौफ इतना था कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऐन गणेशोत्सव के दौरान पांच दिनों का विशेष सत्र बुलाकर सनसनी फैला दी, लेकिन क्या गणपति की कृपा उन पर होगी? मुश्किल है।

इंडिया गठबंधन की मुंबई बैठक का शुक्रवार को समापन हुआ। एक तरह से मुंबई के ग्रैंड हयात होटल से बोरिया-बिस्तर समेट लिया गया। मुंबई की बैठक के आयोजन की जिम्मेदारी शिवसेना ने स्वीकारी और इसे सफलतापूर्वक संपन्न कराया। ३० तारीख की शाम को एक पत्रकार परिषद आयोजित की गई। बैठक ‘इंडिया’ गठबंधन की थी, लेकिन ज्यादातर सवाल मुंबई-महाराष्ट्र के मुद्दों से संबंधित थे। आगे से मुंबई का विकास दिल्ली का नीति आयोग करेगा, ऐसा उसी दिन घोषित हुआ। नतीजतन, ‘इंडिया’ की बैठक में सवालों का आक्रोश ‘मुंबई’ पर केंद्रित हो गया। मुंबई पर अप्रत्यक्ष कब्जा हासिल करने की यह एक साजिश है। मुंबई महानगरपालिका के चुनाव करवाने नहीं हैं। महाराष्ट्र में कमजोर सरकार और निर्बल मुख्यमंत्री को बैठाकर मुंबई की कमर तोड़ने की यह साजिश है। शिवसेना इसे सफल नहीं होने देगी। हम अपनी जान की बाजी लगाकर महाराष्ट्र की, मुंबई की रक्षा करेंगे।’ ऐसा उद्धव ठाकरे ने साफ तौर पर कह दिया। मोदी सरकार ने पिछले महीने एक अध्यादेश पारित करके दिल्ली की जनता द्वारा चुनी गई सरकार को पंगु और गुलाम बनाकर केंद्र का दास बना दिया। जम्मू-कश्मीर से पूर्ण राज्य का दर्जा छीने जाने के पांच साल बीत चुके हैं। अनुच्छेद-३७० हटाया मतलब क्या किया? इस भ्रम में वहां के लोग अभी भी हैं। वहां चुनाव नहीं होने देना, यह सरकार द्वारा जनता का शोषण किए जाने जैसा है। प्रधानमंत्री मोदी लद्दाख की भूमि और मणिपुर की खनिज संपदा अपने दोस्त गौतम अडानी को देना चाहते हैं, ऐसा सीधा हमला श्री राहुल गांधी ने किया। उसमें अब मुंबई भी बढ़ गई है। ईस्ट इंडिया कंपनी भी दांतों तले उंगली दबा ले, ऐसी कार्यशैली है, ‘इंडिया’ गठबंधन को उसके खिलाफ लड़ना है।

व्यवसाई मित्र के लिए…
एक व्यापारी मित्र की जेब में एक राजा है और राजा फकीर होने का दिखावा करता है। उस फकीर का पाखंड उजागर हो रहा है। ‘इंडिया’ गठबंधन २०२४ का चुनाव जीतेगा, यह अब तय है। गुजरात की धरती से जो गंदी सियासत दो नेताओं ने की। उसकी वजह से देश की स्वतंत्रता और लोकतंत्र खतरे में पड़ गया। यह महात्मा गांधी की भूमि है। ऐसा कहने को भी अब जुबां तैयार नहीं होती है। महात्मा गांधी आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए गुजरात छोड़कर महाराष्ट्र और बाद में चंपारण तथा दिल्ली गए, लेकिन उनके विचार दृढ़ थे। गुजरात के व्यापारी समूह में रहकर आजादी की लड़ाई लड़ना संभव नहीं है। इस मिट्टी और खून में व्यापार है। नफा और नुकसान केवल यही दो शब्द यहां के लोग समझते हैं। जिस ईस्ट इंडिया कंपनी की व्यापार शाही के खिलाफ हम लड़ रहे हैं, उसी ईस्ट इंडिया कंपनी से हाथ मिलाकर पैसा कमानेवाले व्यापारी यहां हैं। उनमें स्वतंत्रता प्राप्ति की चाहत निर्माण नहीं होगी, ऐसा गांधीजी को यकीन हो गया और देशभक्तों की नई पीढ़ी को जगाने के लिए उन्होंने पहले महाराष्ट्र और फिर बिहार, दिल्ली की राह पकड़ी। लोकसभा चुनाव में गुजरात मोदी के पीछे एक बार फिर खड़ा रहेगा, ऐसा इसी वजह से कहा जा रहा है। व्यापारी प्रजा को व्यापारी राजा मिल गया, परंतु पूरा अर्थात देश गुजरात का व्यापार नहीं है।

मूर्खों को होशियार बनाएंगे
जॉर्ज कॉर्लिन ने एक जगह बहुत अच्छी बात कही है। वे कहते हैं, ‘मूर्खों की शक्ति को कम मत आंको। खासकर तब जब मूर्खों का एक समूह बन जाता है।’ राजा जब प्रजा में मूर्ख अंधभक्त तैयार कर लेता है तो देश खुद ही गुलामी की ओर धकेल दिया जाता है। मूर्खों के इस स्वर्ग से लोगों को बाहर निकालना ही, ‘इंडिया’ फ्रंट का पहला काम है। सोनिया गांधी से लेकर फारूक अब्दुल्ला तक २८ राजनीतिक दल मुंबई की बैठक में शामिल हुए। मुंबई बैठक से पहले मोदी सरकार ने रसोई गैस २०० रुपए सस्ती कर दी। ये ‘इंडिया’ की एकता की ताकत है। इस पर श्री उद्धव ठाकरे ने कहा, यदि मुंबई के बाद ‘इंडिया’ की दो या तीन बैठकें और हुईं तो मोदी गैस सिलिंडर मुफ्त बांटेंगे।’ दूसरा तर्क इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है, जो ‘इंडिया’ की बैठक से पहले सुनने को मिला। ‘चीन लद्दाख में घुस आया है। चीन के नए नक्शे में अरुणाचल को निगल लिया है। गरीब और मध्यम वर्ग इसके बारे में ज्यादा न सोचें, इसलिए गैस को २०० रुपए सस्ता कर चीन की समस्या से लोगों का ध्यान भटकाने के प्रयास जैसा यह मामला है।’ ये ऐसी राजा की व्यापारी प्रवृत्ति है।

स्थिति में सुधार हो रहा है
देशभर में कांग्रेस पार्टी की स्थिति में जबरदस्त सुधार हो रहा है, लेकिन अभी भी इतना सुधार नहीं हुआ है कि वह अपने दम पर १५० सीटें जीत सके। इसलिए ‘इंडिया’ गठबंधन ही वर्तमान भारतीय जनता पार्टी का एकमात्र विकल्प होगा। इसकी वजह यह है कि खुद मोदी का चेहरा भाजपा की अपनी बहुमत वाली सरकार बनवा देगा, ऐसी स्थिति में नहीं है। भाजपा २०० का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी इसलिए सरकार बनाने के लिए उसे सहयोगियों की जरूरत होगी। उन्हें वो दोस्त भी नहीं मिलेंगे। डूबते जहाज से उनके अपने ही लोग निकल जाएंगे, ऐसा आज की तस्वीर से स्पष्ट है।
वर्तमान में भाजपा में ही जो मौजूदा तानाशाही के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है, वह उफान मारकर बाहर आ जाएगा और आंध्र में बीजू जनता दल, वाई.एस.आर. कांग्रेस जैसी पार्टियां भी भाजपा छोड़ देंगी। ईडी-सीबीआई के डर से आंध्र के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी अब सत्ता के साथ हैं। ओडिशा के नवीन पटनायक की कोई राष्ट्रीय सोच नहीं है और न ही कोई भूमिका ही है। दिल्ली में सत्तारूढ़ होनेवालों के साथ रहना और ओडिशा के हित में निर्णय हासिल कर लेना ही उनकी नीति है तो फिर उन्हें दोष क्यों दें?

बैठक से प्रतिसाद
३१ अगस्त की शाम ‘इंडिया’ की बैठक में अरविंद केजरीवाल ने साफ कहा, ‘कांग्रेस के साथ सभी मतभेद सुलझाकर हम सीटें बांटने को तैयार हैं। हमने मन से दुविधाओं को दूर कर दिया है।’ अब चर्चा और बैठकें बहुत हो गर्इं, एक्शन मोड में आते हैं, ऐसी लालू प्रसाद यादव और ममता बनर्जी की राय है। देश के तानाशाह प्रतिदिन नए कदम उठा रहे हैं और हम चर्चा कर रहे हैं। इस पर लालू ने मार्गदर्शन किया। ३० सितंबर से पहले देशभर में सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला तय करके मुद्दे को खत्म करते हैं और प्रचार अभियान में शुरू करते हैं, इस पर सभी सहमत हुए। सबसे महत्वपूर्ण राय व्यक्त की डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने। ‘पहले देश को बचाएं, देश खतरे में है। अगर देश बचेगा तो हमारी पार्टी और राजनीति बचेगी। नहीं तो ये सबको खत्म करने पर तुले हैं।’ इस पूरी चर्चा का समापन शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने किया। साथ में श्री शरद पवार थे ही। पहले इंडिया गठबंधन का प्रारंभिक स्ट्रक्चर घोषित करें। समन्वय समिति पहला कदम होगी तथा अन्य सभी कामकाज समितियों का गठन करके देशभर में माहौल तैयार करने के लिए दावानल भड़काएंगे, ऐसा यह सच है कि उद्धव ठाकरे ने दृढ़ता से कहा, जो कि सत्य ही है। चुनाव आयोग की मनमानी से लेकर ‘ईवीएम’ घोटाले तक तमाम मुद्दों पर चर्चा सभी बैठकों में होती है, लेकिन मोदी के नए अमृतकाल में तानाशाही की लहर में सब कुछ बह जाता है। इंडिया गठबंधन इसके लिए मजबूत बांध का निर्माण करे और आफत में फंसे देश को बचाए। मुंबई में इंडिया की बैठक से यही हासिल हुआ है।

भाजपा की चालबाजी
मुंबई में इंडिया की बैठक से ध्यान भटके इसके लिए दिल्ली में संसद का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की गई। इससे सियासी भ्रम पैदा होगा और इंडिया बैठक की खबरें दब जाएंगी, ऐसा भाजपा के चाणक्य को लगा होगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। ऐन गणपति उत्सव के दौरान संसद का सत्र आयोजित करना महाराष्ट्र के गणेश भक्तों की भावना के साथ खिलवाड़ है, बल्कि अगर अधिवेशन नवरात्रि में आयोजित किया गया होता तो बेहतर होता, लेकिन अगर ऐसा किया गया तो गुजरात की जनता नाराज हो जाएगी। महाराष्ट्र के लोगों की भावनाओं को रौंद भी दिया जाए तो अब चल सकता है, ऐसे विचारों वाली सरकार दिल्ली में बैठी है। तानाशाह मनमौजी होता है। वह कब क्या निर्णय ले लेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। संसद के विशेष सत्र में सत्तारूढ़ मोदी कार्यों की ‘बारात’ निकालेंगे और २०२४ से पहले ही आम चुनाव की घोषणा कर देंगे। इसलिए इंडिया की बैठकों को खत्म करके सीधे मैदान में उतरना ही इसका समाधान है।
महाराष्ट्र ने ‘इंडिया’ के लिए बिगुल बजा दिया है!

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