‘ईडी’ सरकार बना रही ड्रॉफ्ट
शिक्षकों को सताया जॉब जाने का डर
सामना संवाददाता / मुंबई
अपनी भाषा को प्राथमिकता देना बहुत जरूरी है, लेकिन उतना ही जरूरी है अन्य उन भाषाओं को सीखना जिससे हर जगह आप अपने मन के भाव को रख सकें। अब मुंबई जहां हर भाषा की जरूरत को लोग समझते है, वहां ‘ईडी’ सरकार कह रही है कि ए, बी, सी, डी छोड़ो। असल में सरकार अंग्रेजी को स्कूलों में वैकल्पिक भाषा बनाने पर विचार कर रही है, जिससे स्कूलों में अंग्रेजी के मास्साब लोग डरे हुए हैं। इसका कारण है कि अंग्रेजी की मांग कम होने पर अन्हें अपना जॉब जाने का डर सताने लगा है।
बता दें कि महाराष्ट्र राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा ११वीं और १२वीं कक्षा के छात्रों के लिए अंग्रेजी विषय को वैकल्पिक विषय बनाने के प्रस्ताव के बाद शुरू हुई चर्चा के बीच अंग्रेजी शिक्षकों को नौकरी गंवाने का डर सताने लगा है। राज्य सरकार द्वारा इस बारे में ड्रॉफ्ट बनाए जाने पर शिक्षकों ने यह भी कहा कि अंग्रेजी को वैकल्पिक विषय बनाना अच्छा कदम नहीं होगा।
कांदिवली के रूबरिक्स कोचिंग संस्थान के संस्थापक प्रथमेश झा ने इस मुद्दे पर बात करते हुए बताया कि नए एससीएफ ड्रॉफ्ट ने अंग्रेजी शिक्षकों को चिंतित कर दिया है। उन्हें डर है कि अगर यह प्रस्ताव लागू होता है और अंग्रेजी चुनने वाले छात्रों की संख्या में गिरावट आएगी। जिसकी वजह से अंग्रेजी के शिक्षकों की नौकरियां जा सकती हैं। हमारा मानना है कि इस प्रस्ताव पर अधिक विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह अनावश्यक लगता है।’ विक्रोली के जूनियर कॉलेज में सहायक शिक्षक ने कहा कि अंग्रेजी एक वैश्विक भाषा है और दुनिया भर में उच्च शिक्षा अंग्रेजी में प्रदान की जाती है। ‘भारतीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में, कक्षा ११ और कक्षा १२ में अंग्रेजी अनिवार्य रूप से हमेशा की तरह पढ़ाई जानी चाहिए। कोई भी भारतीय भाषा या विदेशी भाषा अंग्रेजी का विकल्प नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, ८-१० विदेशी भाषाओं की पेशकश की जा सकती थी। शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया में अचानक बदलाव देश की अगली पीढ़ी के शिक्षार्थियों के लिए भ्रामक हो सकता है।