सामना संवाददाता / नई दिल्ली
मणिपुर पिछले तीन महीनों से हिंसक घटनाओं के कारण अशांत है। आगजनी की घटनाओं के कारण हजारों नागरिकों को विस्थापित होना पड़ा है। इसी पृष्ठभूमि में ‘इंडिया’ के २१ सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मणिपुर का दौरा किया और पीड़ितों के शिविर में जाकर उनसे बातचीत कर उनकी परेशानियों को समझा। इसके साथ ही विपक्षी ‘इंडिया’ के सांसदों ने संयुक्त रूप से हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और मणिपुर में शांति लाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
बता दें कि वहां कुकी और मैतेई समुदायों के बीच चल रहे आरक्षण विवाद को लेकर हिंसा भड़की है। हिंसक घटनाओं में अभीतक ६५ हजार से ज्यादा नागरिक विस्थापित हो चुके हैं और उन्हें राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार मणिपुर में शांति लाने में विफल रही है। विपक्षी सांसदों ने इस बात का जायजा लिया कि मणिपुर में जारी हिंसा को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है? वे संसद सत्र में भी अपना पक्ष रखेंगे।
मणिपुर जाने वाले ‘इंडिया’ के सांसदों में कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) सांसद अरविंद सावंत, मोहम्मद पैâसल (एनसी), कानिमोझी, डी. रवि कुमार (डीएमके), मनोज कुमार झा (राजद), सुष्मिता देव (टीएमसी), महुआ माझी (जेएमएम), जयंत चौधरी (आरएलडी), एनके प्रेमचंद्रन (आरएसपी), टी तिरुमावलन (वीसीके), ललन सिंह (जेडीयू), अनिल प्रसाद हेगड़े (जेडीयू), ए.ए. रहीम (सीपीआईएम), संतोष कुमार (सीपीआई), जावेद अली खान (सपा), मोहम्मद बशीर (आईयूएमएल), सुशील गुप्ता (आप), फूलो देवी नेताम (कांग्रेस) व के सुरेश (कांग्रेस) शामिल थे। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि मणिपुर की समग्र स्थिति को देखते हुए तुरंत राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। ‘इंफाल में हर जगह बहुत अराजकता और भय है।