सामना संवाददाता / मुंबई
दक्षिण रेलवे के चेन्नई डिविजन से प्राप्त एक आरटीआई के जवाब से पता चला है कि चेन्नई और कोयंबटूर के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस के उद्घाटन समारोह में करोड़ों रुपए खर्च किया गया। वंदे भारत को दिखाई गई हरी झंडी की कीमत १.१५ करोड़ रुपए इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को भुगतान किया गया। आरटीआई के जवाब के मुताबिक, इवोक मीडिया नाम की एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को उनकी सेवाओं के १,१४,४२,१०८ रुपए दिया गया।
सरकार द्वारा सिर्फ उद्घाटन के नाम पर इतना खर्च करना लोगों द्वारा अनैतिक ठहराया जा रहा है। लोगों द्वारा इसकी आलोचना की गई है। आलोचकों का दावा है कि झंडी समारोह के लिए इतना खर्च करदाताओं पर एक अनावश्यक बोझ है। मुंबई निवासी आरटीआई कार्यकर्ता, अजय बोस ने इन निष्कर्षों को शेयर करते हुए जनता के ध्यान में लाया और सार्वजनिक धन के फालतू खर्च में लगाना चिंताओं जाहिर किया है। आलोचकों का यह भी तर्क है कि लागत को काफी कम किया जा सकता था या बुनियादी ढांचे के विकास या अन्य सार्वजनिक कल्याण पहल के लिए बेहतर उपयोग किया जा सकता था।
सरकारी अधिकारियों ने नहीं दिया है जवाब
सरकारी अधिकारियों ने अभी तक इन आरोपों का जवाब नहीं दिया है, जिससे आगे की अटकलों और बहस की गुंजाइश बनी हुई है। जैसे-जैसे यह मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। वैसे ही यह उम्मीद की जा रही है कि अधिक जवाबदेही और करदाताओं के पैसे को जिम्मेदारी से खर्च करने की मांग करते हुए अधिक आवाजें शामिल होंगी।
खर्च का नहीं दिया गया है उचित हिसाब
इवेंट मैनेजमेंट कंपनी इवोक मीडिया को उनकी सेवाओं के लिए १ करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया गया है। उनके द्वारा दी गई सेवाओं की सटीक जानकारी सरकार द्वारा नहीं बताई गई है। यह साफ-साफ सरकार के पारदर्शिता की कमी को उजागर कर रही है। जैसे ही करदाताओं के पैसे की इस कथित फालतू खर्च की खबर लगी, जवाबदेही और खर्चों के विस्तृत ब्यौरे की मांग ने जोर पकड़ लिया है।
वर्तमान में हैं २५ सेवाएं
वर्तमान में देश भर में २५ वंदे भारत ट्रेनें चालू हैं, जिनमें से नौ आठ-कोच वाली हैं। आने वाली चार और वंदे भारत एक्सप्रेस के साथ, भारतीय रेल नेटवर्क में ५८ सेवाओं के साथ कुल २९ सेमी-हाई स्पीड ट्रेनें होंगी। अगर औसतन हर उद्घाटन के लिए एक करोड़ का खर्च आता है तो उस प्रकार से अभी तक कई वंदे भारत ट्रेनों का अलग-अलग जगहों पर उद्घाटन हुआ है। ऐसे में आम नागरिकों द्वारा भरे जाना वाला टैक्स पैसों का इस्तेमाल मात्र झंडी दिखाने में खर्च किया जा रहा है।