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मुंबई से कजाकिस्तान तक की यात्रा …गौरैया की गाथा! …८१ दिनों में पूरा किया सफर

सामना संवाददाता / मुंबई
हिंदुस्थान में अब तक बड़े पक्षियों को टैग लगाकर उनके प्रवास की गाथा गाई गई है। शायद यह पहली बार है कि छोटी गौरैया भी लंबी दूरी तय कर सकती है। हिंदुस्थानी महाद्वीप में तीन उप प्रजातियों में से एक पाई जानेवाली स्पेनिश गौरैया ने मुंबई से कजाकिस्तान तक की यात्रा ८१ दिनों में पूरी की है। यह सबसे छोटी अवधि मानी जाती है। कुछ गौरैया रूस, दक्षिण-पश्चिमी ताजिकिस्तान और पाकिस्तान तक उड़ान भर चुकी हैं। शोधकर्ताओं ने मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की हालिया शोध रिपोर्ट में प्रवास का दस्तावेजीकरण किया है। उल्लेखनीय है कि स्पेनिश गौरैया को मुंबई में टैग किया गया। इस दौरान पता चला कि उसने कजाकिस्तान के जाम्बिल तक का सफर ८१ दिनों में पूरा किया है। गौरैया की अब तक की सबसे लंबी प्रवास अवधि आठ वर्ष है। मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी ने पांच गौरैया को टैग किया। इनमें से चार गौरैया को हाल ही में राजस्थान के भरतपुर में और एक को मुंबई में टैग किया गया था। भरतपुर में टैग की गई इनमें से एक कजाकिस्तान के जाम्बिल में गई और वापस भरतपुर लौट आई।
दर्ज हुईं गौरैया की आठ उप प्रजातियां
शोधकर्ताओं ने घरेलू गौरैया उप प्रजाति की आठ गौरैया दर्ज की है। भरतपुर में रिंग की गई गौरैया रूस, कजाकिस्तान और ताजिकिस्तान में पाई गई। तीन गौरैया दक्षिण-पश्चिमी कजाकिस्तान में और एक उत्तरी कजाकिस्तान में दर्ज की गई हैं। कजाकिस्तान की तीन गौरैया में से एक दिल्ली में पाई गई और एक चक्राकार तमिलनाडु के प्वाइंट कालीमार वन्यजीव अभयारण्य में और बांग्लादेश में पाई गई।

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