– नाहुर में पक्षी उद्यान पर खर्च होंगे ८० करोड़
नीलम रामअवध / मुंबई
मुंबई शहर, जो हर दिन सांस लेने के लिए जूझता है। जहां बारिश के मौसम में सड़कों के गड्ढे जिंदगी निगल लेते हैं। अस्पतालों में मरीजों को जमीन पर लिटाया जाता है और झुग्गियों में रहने वाले हजारों परिवार एक बाल्टी पानी के लिए कतार में खड़े रहते हैं।
ऐसे में एक नई घोषणा हुई है कि मुलुंड के नाहुर क्षेत्र में एक भव्य पक्षी उद्यान बनेगा। ८० करोड़ रुपए की लागत से १७,९५८ वर्गमीटर जगह में २०६ विदेशी-स्थानीय पक्षियों का आशियाना होगा। योजना को महाराष्ट्र शहरी विकास विभाग की ७ अप्रैल २०२५ को मंजूरी मिल चुकी है। जनवरी २०२४ में प्रस्ताव बना, सितंबर २०२४ तक प्रक्रिया पूरी हुई और अब इसे १८ महीनों में पूरा किया जाएगा।
रिपोर्ट की मानें तो इसके लिए सेंट्रल जू ऑथॉरिटी (सीजेडए) की मंजूरी भी मिल चुकी है और एक सलाहकार भी नियुक्त कर दिया गया है। परियोजना को वीरमाता जिजाबाई भोसले उद्यान और प्राणी संग्रहालय का सैटेलाइट सेंटर बताया गया है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर तैयार किया जाएगा। यह घोषणा अब बहस का विषय बन गई है।
बेशक, पक्षियों को देखना सुकून देता है। लेकिन जब शहर की जमीन पर रहने वाले इंसान ही सुरक्षा और सुविधा से वंचित हों, तब क्या पंखों को पालना जरूरी है? इन पिंजरों में एशिया, अप्रâीका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका की थीम होगी। मगर क्या इन विदेशी थीमों से जमीन की असल सच्चाई ढंकी जा सकती है?
शहर की धूल, बदबू और भूख के बीच, यह चमकता सपना किसी परदे जैसा है- जो जनता की तकलीफों को ढंकता तो है, पर मिटा नहीं सकता। मुंबई को आज जरूरत है मजबूत सड़क की, बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था की, साफ पानी की न कि एक और आलीशान पार्क की, जहां पंख तो होंगे… पर आम इंसान की उड़ान अब भी जमीन से चिपकी होगी।