सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पूर्व नगरसेवक अभिषेक घोसालकर की हत्या के मामले में कल हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस को जमकर फटकार लगाई, साथ ही कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ ने अभिषेक की पत्नी तेजस्वी घोसालकर की याचिका पर यह पैâसला सुनाया। इस पैâसले से मुंबई पुलिस की जमकर किरकिरी हो रही है। उल्लेखनीय है कि अभिषेक हत्याकांड के मास्टर माइंडों का पुलिस बचाव कर रही है। इसके साथ ही पुलिस यंत्रणा सही जांच करने में पूरी तरह विफल रही है। (बाकी पेज २ पर)
इसलिए अभिषेक की पत्नी व पूर्व नगरसेविका तेजस्वी घोसालकर ने एक फौजदारी रिट याचिका दायर कर अनुरोध किया कि जांच सीबीआई या फिर एसआईटी को सौंपी जाए। इस याचिका पर हाई कोर्ट ने कल पैâसला सुनाया। सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में लाया गया कि अभिषेक की हत्या के असली मास्टर माइंड अभी भी पकड़ से बाहर हैं। अभिषेक की हत्या की साजिश रचनेवाले मुख्य आरोपियों का पता लगाने के लिए पुलिस ने गंभीरता से जांच नहीं की, इसलिए असली मास्टर माइंड अभी भी खुला घूम रहे हैं। इस बीच हाई कोर्ट में पुलिस ने जल्दबाजी में आरोप पत्र दायर कर दिया।
याचिका में तेजस्वी ने कई गंभीर दावे किए थे। अभिषेक की हत्या की साजिश में अमरेंद्र कुमार मिश्रा, मेहुल पारेख, संजय आचार्य की संलिप्तता के अलावा अज्ञात मास्टर माइंड भी हैं। पुलिस व्यवस्था समय रहते उन सूत्रधारों का चेहरा सामने लाने में विफल रही है। तेजस्वी ने याचिका में आरोप लगाया था कि राजनीतिक शरण प्राप्त आरोपियों को पुलिस जान बूझकर बचा रही है।