हिंदुस्थान कर रहा है रिसर्च
सामना संवाददाता / मुंबई
हिंदुस्थान समेत दुनियाभर में डायबिटीज गंभीर स्वास्थ्य चिंता बनकर उभर रही है। यह बीमारी अब बुजुर्गों के साथ ही युवाओं और बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रही है। देश में इस बीमारी के सबसे ज्यादा मरीज हैं। यही वजह है कि इसके इलाज के लिए अक्सर शोध किए जाते हैं। इसी क्रम में टाइप वन डायबिटीज को ठीक करने के लिए स्टेम सेल तकनीक काफी कारगर साबित होगी। फिलहाल, हिंदुस्थान में इसे लेकर रिसर्च चल रहा है।
डायबिटीज दो प्रकार की होती है। अनहेल्दी लाइफ स्टाइल के कारण टाइप-२ होती है, जबकि टाइप-१ डायबिटीज बचपन से ही होती है। इसमें किसी कारणवश शरीर में इंसुलिन का उत्पादन नहीं हो पाता है। वैसे तो दोनों ही तरह की डायबिटीज खतरनाक है, लेकिन टाइप-१ बचपन को बहुत प्रभावित करती है। अभी तक इन दोनों ही तरह की डायबिटीज का इलाज संभव नहीं है। बस बाहरी तौर पर इंसुलिन देकर ग्लूकोज को नियंत्रित किया जाता है। फिलहाल, चाइना ने टाइप-१ के इलाज के लिए स्टेम सेल तकनीक का इस्तेमाल किया है।
यह है स्टेम सेल तकनीक
स्टेम सेल में क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करने की क्षमता होती है। इन कोशिकाओं में किसी भी क्षतिग्रस्त को ठीक करने की बहुत ज्यादा ताकत होती है। ये कोशिकाएं किसी भी प्रकार की अन्य कोशिकाओं में आसानी से विकसित हो जाती हैं। ताजा शोध के मुताबिक वैज्ञानिकों ने इस तकनीक के जरिए इस टाइप के डायबिटीज मरीजों को ठीक करने का भी दावा किया है, जिसे दुनिया का पहला मामला बताया जा रहा है। दावा किया गया है कि २० सालों से टाइप वन डायबिटीज से पीड़ित एक २५ वर्षीय महिला ने नई इनवेसिव सर्जरी के लगभग ढाई महीने बाद अपने शुगर लेवल को कंट्रोल कर लिया है। साबित होगी वरदान
लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, साल २०२१ में दुनिया भर में ९० लाख लोग टाइप वन डायबिटीज से पीड़ित थे। इनमें से २० लाख लोग २० साल से कम उम्र के थे। युवाओं को टाइप वन डायबिटीज का खतरा ज्यादा रहता है इसलिए भविष्य में यह तकनीक डायबिटीज मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है।