एक-दो डिग्री टेंपरेचर भी रहता है कम
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई मनपा की तर्ज पर राज्य सरकार द्वारा संचालित कामा अस्पताल में भी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे की संकल्पना के तहत तीन सालों में मियावाकी पद्धति से तीन उद्यान तैयार किए गए हैं, जो मुंबई में बढ़ते प्रदूषण को रोकने में योगदान दे रहे हैं। करीब ३० हजार स्क्वॉयर फीट में पैâले मियावाकी के इन तीनों उद्यानों में आनेवाले मरीजों, चिकित्सकों और मेडिकल स्टाफ को ११ हजार पेड़ छाया के साथ ही शुद्ध ऑक्सीजन दे रहे हैं। इतना ही नहीं, इनकी वजह से अस्पताल परिसर में शहर के बाहरी क्षेत्रों की तुलना में एक से दो डिग्री टेंपरेचर हमेशा कम रहता है। फिलहाल, इन उद्यानों को तैयार करने में अस्पताल प्रशासन ने निजी संस्था से सहायता ली है।
उल्लेखनीय है कि मियावाकी के जंगलों में पेड़ सामान्य जंगलों की तुलना में तेजी से बढ़ते हैं। मियावाकी शैली के जंगल न केवल दो सालों में तैयार हो जाते हैं, बल्कि बहुत घने भी होते है, क्योंकि पेड़ों की दूरी कम होती हैं। इन वनों की एक अन्य विशेषता यह है कि इन्हें आरंभिक दो या तीन वर्षों तक नियमित रख-रखाव की आवश्यकता होती है। उसके बाद ये जंगल प्राकृतिक रूप से बढ़ते रहते हैं।
जंगलों में देसी और औषधीय पेड़-पौधे
ग्रीनजप ग्रो फाउंडेशन के निदेशक अरदीप राठोड़ ने कहा कि मियावाकी जंगलों में ४७ अलग-अलग तरह के पेड़ लगाए गए हैं, जिनमें फलदार, फूलवाले पौधे, औषधीय गुणों वाले पेड़ शामिल हैं।
इस तरह किया जा रहा पेड़ों का रख-रखाव
कामा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. तुषार पालवे ने कहा कि पेड़ों की देखभाल करने, उर्वरक डालने, दिन में दो बार पेड़ों को पानी देने, उचित जल आपूर्ति के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करने के लिए एक विशेष माली की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि इन पेड़ों की मदद से अस्पताल में आनेवाले सभी लोगों को प्राकृतिक तौर पर शुद्ध ऑक्सीजन मिल रहा है। इसके साथ ही अंदर न केवल लोग तरोताजा महसूस करते हैं, बल्कि उन्हें यहां गर्मी का कम अहसास होता है।
२२ दिन पहले तीसरे उद्यान को किया गया तैयार
डॉ. तुषार पालवे ने कहा कि अस्पताल में तीसरे मियावाकी शैली के बगीचे का निर्माण एक मई को किया गया। अस्पताल में पहला मियावाकी पार्क २०२०-२१ में तैयार किया गया था, जिसमें १५ हजार वर्गफीट पर ७,०२६ पेड़ लगाए गए थे। इसी तरह दूसरा मियावाकी जंगल साल २०२२ में तैयार किया गया था, जिसमें ७,००० वर्गफुट के क्षेत्र में १,५०० पेड़ लगाए गए थे।
जंगल तैयार होने में लगते हैं २८ से ३० साल
संस्था के निदेशक अरदीप राठोड़ ने कहा कि एक वयस्क जंगल को तैयार होने में औसतन २८ से ३० साल लगते हैं। हालांकि, मियावाकी पद्धति के जंगल पांच-सात सालों में तैयार हो जाते हैं। इसके तहत पेड़ सीधी दिशा में बढ़ते रहते हैं। इनकी हाइट भी २० से ३० फीट तक पहुंच जाती है। उन्होंने कहा कि मियावाकी पद्धति में प्लांट की डिजाइन महत्वपूर्ण होती है। इस कारण सभी पेड़ एक परिवार की तरह एक साथ बढ़ते रहते हैं।