-अंतिम चरण में पहुंचा काम
-नए साल में उठा सकेंगे लुत्फ
सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता, युवासेनाप्रमुख व तत्कालीन पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे की संकल्पना अब साकार होने जा रही है। उनकी संकल्पना के तहत मुंबई में बन रहे पहले एलिवेटेड फॉरेस्ट वॉकवे योजना का काम अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। ऐसे में मनपा नए साल तक मलबार हिल की हरी-भरी हरियाली के बीच वॉकवे खोलने की योजना बना रही है, जहां से शहर और गिरगांव चौपाटी को बिना किसी अड़चन के देखा जा सकेगा।
मनपा प्रशासन के मुताबिक, ४८२ मीटर लंबे इस वॉकवे पर ९० प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो चुका है। मनपा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि परियोजना स्थल न तो बंजर भूमि और न ही मैदानी क्षेत्र में स्थित है। यह ७०-८० डिग्री ढलान पर स्थित है। इसलिए मूल्यांकन करने के बाद ही काम को शुरू किया गया। इसी के साथ ही शुरुआती चरण में इस काम में किसी मशीन का उपयोग नहीं किया गया था। मजदूरों ने ही मैन्युअल रूप से काम किया। अधिकांश उपकरणों को भी मैन्युअली ही ले जाना पड़ा, क्योंकि यह क्षेत्र काफी हद तक दुर्गम था। यहां तक कि लकड़ी और स्टील के उपकरणों को भी मैन्युअल रूप से ही ले जाना पड़ा।
इसलिए लगा अधिक समय
एक साल से ज्यादा समय से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे एक कर्मचारी मोहम्मद आसिफ ने कहा कि हमें उपकरण को ढलान पर ले जाना था, इसलिए हमने उसी हिसाब से योजना बनाई। अगर मशीन भारी थी, तो दो लोगों की बजाय चार लोग उसे ले जाते। इसी तरह जिस काम में आम तौर पर १० मिनट लगते हैं, उसमें २० मिनट लगे, क्योंकि हमें भारी सामान धीरे-धीरे ले जाना था। फिलहाल आसिफ अन्य मजदूरों के साथ परियोजना के अंतिम चरण पर काम कर रहे हैं, जिसमें प्रवेश द्वार के पास पैनल कक्ष का निर्माण शामिल है।
पेड़ों की हुई रक्षा
मलबार हिल्स में हरे-भरे पेड़-पौधे और विशाल पुराने पेड़ हैं। वॉकवे बनाने के दौरान उनकी सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण थी। ऐसे में यह सुनिश्चित किया कि परियोजना के आकार लेने के दौरान एक भी पेड़ न काटा जाए। हालांकि, यह कोई आसान काम नहीं था। मनपा ने सलाहकारों के साथ मिलकर पेड़ों की कुल संख्या निर्धारित करने के लिए कई सर्वेक्षण किए। बताया गया कि पहले यह वॉकवे लंबा होना था, लेकिन बाद में एक तरफ से वॉकवे की लंबाई घटाकर ४८२ मीटर और चौड़ाई २.२ मीटर कर दी गई।
बढ़ाया गया समय
पहली बार वर्ष २०२० में प्रस्तावित इस परियोजना के लिए २०२१ में २२ करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया गया, जबकि साल २०२२ में काम शुरू हुआ। शुरुआत में मनपा ने परियोजना को पूरा करने के लिए एक साल की समय सीमा रखी थी, लेकिन सीमित कार्य समय से उत्पन्न कठिनाइयों के कारण समय सीमा को एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया।