• क्या मनपा में असंवैधानिक मुख्यमंत्री के आशीर्वाद से घोटाला शुरू है?
• सड़क कार्यों के आक्षेप का प्रशासन जवाब क्यों नहीं देता?
सामना संवाददाता / मुंबई
महानगर में ४०० किमी सड़क के कंक्रीटाइजेशन के लिए सिर्फ ५ कंपनियों को प्लानिंग के तहत कीमत बढ़ाकर दिए गए ठेके में हजारों करोड़ का घोटाला होने का खुलासा शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष नेता व युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे ने किया था। लगभग दो महीने बाद भी मनपा ने इस पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आशीर्वाद से हो रहे घोटाले को लेकर युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे ने शिंदे सरकार और मनपा प्रशासक पर गंभीर आरोप लगाते हुए १० सवाल पूछे हैं। मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि असंवैधानिक मुख्यमंत्री मनपा के सड़क कंक्रीटाइजेशन ठेके में हुए भ्रष्टाचार में शामिल हैं? इस घोटाले में मुंबईकरों की गाढ़ी कमाई की लूट की गई है।
उन्होंने खरे-खरे १० सवाल पूछते हुए कहा कि यह सवाल हर मुंबईकर के लिए अहम है। क्योंकि प्रस्तावित सड़क कंक्रीटाइजेशन योजना में ६,०८० करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। ५ ठेकेदारों को ये कार्य पूरी गोपनीयता के साथ सौंप दिया गया हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार और प्रशासक बिना किसी ठोस वजह, बिना जरूरत और बिना किसी रोक- टोक के जनता के पैसे व उनकी जमा-पूंजी को अंधाधुंध उड़ा रहे हैं। इस अलोकतांत्रिक प्रशासन पर क्या कभी आत्ममंथन होगा? यह सवाल हर मुंबईकर पूछ रहा है।
अपने पत्र में आदित्य ठाकरे ने कहा कि मुंबई में सड़कों के मेगा ठेके में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और घोटाले को मैंने उजागर किया है। लेकिन मनपा इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर पूरी तरह से खामोश रही है। प्रशासन ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। इसका मतलब है, प्रशासन के हाथ भी घोटाले से सने हुए हैं। इस घोटाले की बागडोर मुख्य आरोपी राज्य के असंवैधानिक मुख्यमंत्री के हाथों में है।
उन्होंने कहा कि यह बात भी सामने आई है कि कई विधायक, पूर्व नगरसेवक व नागरिकों ने विभिन्न माध्यमों से इन सड़कों के ठेकेदारों की जांच की मांग की है। इन पत्रों के आधार पर मनपा ने ठेकेदारों पर कई करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इसके लिए जितना ठेकेदार जिम्मेदार हैं उतना ही मनपा प्रशासन भी जिम्मेदार है। इस मामले में मनपा अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई है?
मुंबईकरों को चाहिए इन सवालों के जवाब
१. निविदाएं जारी करने के समय, बोलियां प्रतिस्पर्धी मूल्य (अनुमानित मूल्य से औसतन ८³ अधिक) या ‘एट पार’ मूल्य पर प्रदान की गई थीं?
२. निविदा की बोली प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है और निविदाएं मनपा प्रशासन ने साजिश के तहत एकतरफा रूप से प्रदान की हैं?
३. टेंडर की कीमत बढ़ाई गई है, इसमें नियमों का उल्लंघन हुआ है? और कितनी वृद्धि की जाएगी?
४. टेंडर जारी होने के बाद अब तक कितनी सड़कों का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है?
५. मुंबई ट्रैफिक पुलिस और अन्य विभागों और संस्थानों से कितने ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ प्राप्त हुए हैं?
६. प्रस्तावित १० प्रतिशत अग्रिम राशि’ (अग्रिम मोबिलाइजेशन) ठेकेदारों को दे दी गई है या नहीं?
७. क्या दो सप्ताह से गिट्टी की आपूर्ति बंद होने और बाद में मूल्य में वृद्धि से इन निविदाओं या चल रहे सड़क कार्यों की कीमत प्रभावित होगी?
८. निर्वाचित नगरसेवकों का कार्यकाल मार्च २०२२ में समाप्त होने के बाद उनकी अनुपस्थिति में इन ४०० किमी लंबे सड़क कार्यों का प्रस्ताव किसने दिया है?
९. नगरसेवकों की समितियों के अनुपस्थिति में ४०० किमी सड़क निर्माण की स्वीकृति किसने दी?
१०. यदि ३१ मई २०२३ तक इन कार्यों को प्रारंभ नहीं किया गया तो संशोधित समय सीमा क्या होगी? और क्या मानसून के बाद शुरू होने वाले काम के लिए ‘एडवांस मोबिलाइजेशन’ दिया जाएगा?