मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
त्योहारों में, मंदिर में, मेले में, स्टेशन पर भीड़ में पब्लिक को नियंत्रित करने में विफल भाजपा सरकार की पुलिस कोर्ट में शांति स्थापना करने में फेल हो गयी। मंगलवार को गाजियाबाद जिला कोर्ट में उस समय भारी बवाल मच गया जब कोर्ट में पुलिस ने वकीलों पर लाठीचार्ज कर दिया। लाठीचार्ज के दौरान कई वकील घायल हो गए। पूरा मामला जिला जज और पूर्व बार अध्यक्ष की कहासुनी से शुरू हुआ। कोर्ट में मंगलवार सुबह एक जमानत अर्जी ट्रांसफर करने की मांग पर जिला जज अनिल कुमार और पूर्व बार अध्यक्ष नाहर सिंह यादव के बीच बहस हो गई। इसके बाद जिला जज डायस से नीचे आ गए। बताते हैं कि इस दौरान कहासुनी के बाद जिला जज से बदसलूकी की गयी। भारी हंगामे के बीच कोर्ट रूम में पुलिस को बुलाना पड़ा। वकीलों ने हंगामे के दौरान कामकाज बंद कर दिया। सूचना मिलते ही ग्राउंड फ्लोर पर तैनात पीएसी के जवान भी पहुंच गए और जमकर लाठियां भांजी, इससे नाराज होकर जिला न्यायालय में अधिवक्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। इसी दौरान कचहरी में भगदड़ मच गई। इसी बीच पुलिस चौकी में आग लगने की सूचना से अफरा-तफरी का माहौल बन गया। वकीलों का आरोप है कि जिला जज कोर्ट रूम में उन्हें चारों तरफ से दरवाजे बंद करके पीटा गया। जिसमें बड़ी संख्या में अधिवक्ता गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश अधिवक्ता एसोसिएशन इस घटना पर नाराजगी व्यक्त करते हुये लाठीचार्ज के दोषी अधिकारियों और पुलिस कर्मियों के विरोध दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो पुलिस प्रशासन के विरुद्ध प्रखर आंदोलन किया जाएगा। एसोसिएशन ने इस संबंध में एक बैठक भी बुलाई है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कोर्ट रूम में एक व्यक्ति की जमानत को लेकर सुनवाई चल रही थी। जमानत को लेकर पहले थोड़ी गहमा-गहमी हुई। फिर मामला ज्यादा बढ़ गया। जज और वकीलों के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। इसके बाद जिला जज ने फोन करके पुलिस और पीएसी को बुलवाया। पूरे मामले का एक वीडियो भी सामने आया है। इसमें पुलिसवाले वकीलों पर लाठियां बरसाते दिख रहे हैं।