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‘अयोध्या’ के बाद धर्मनगरी ‘बद्रीनाथ’ में भी चित हुई भाजपा…धर्म-धर्मांतरण मुद्दे चुनाव में विफल होने से पार्टी में बढ़ी बेचैनी

रमेश ठाकुर / नई दिल्ली

राम भक्तों का भाजपा से छिटकने के बाद चुनावों में पार्टी की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। एक और करारी हार भाजपा को चखनी पड़ी। बीते लोकसभा चुनाव में रामनगरी अयोध्या में हार के बाद जादू अब बद्रीनाथ में भी विफल हुआ। बद्रीनाथ की तरह एक-एक कर भाजपा सभी धार्मिक सीटों से हारती जा रही है। हार की फेहरिस्त में प्रयागराज, चित्रकूट, नासिक और रामेश्वरम सीट शामिल हैं। मालूम हो कि उत्तराखंड में 2 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। दोनों ही सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है। कांग्रेस के उम्मीदवार लखपत सिंह बुटोला ने बद्रीनाथ सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार को 5,224 वोटों से हराया है। इस सीट से मार्च में कांग्रेस विधायक के ही राजेंद्र भंडारी इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद बद्रीनाथ सीट खाली हुई थी, जिसके बाद यहां हुए उपचुनाव में खुद हार गए। वहीं, दूसरी मंगलौर सीट से भी कांग्रेस के उम्मीदवार काजी निजामुद्दीन को जीत मिली है। बता दें कि बद्रीनाथ में भाजपा के हारने की पहली वजह ये है कि कुछ महीनों पहले ही बद्रीनाथ में पंडा-पुजारियों और स्थानीय लोगों ने विरोध दर्ज किया की वीआईपी दर्शन की सुविधा की वजह से आम दर्शनार्थियों को काफी दिक्कतें होती हैं। स्थानीय लोग पहले जैसी दर्शन व्यवस्था की मांग कर रहे थे। इसके साथ ही चारधाम यात्रा के शुरुआती दौर में हुई समस्याओं के कारण भी लोगों की चारधाम के मास्टर प्लान को लेकर भी काफी नाराजगी जताई थी, लेकिन स्थानीय भाजपा सरकार ने उनकी सभी मांगों को इग्नोर कर दिया था।

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