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हार के बाद एनडीए में जारी है उठापटक … अब अनुप्रिया पटेल ने योगी पर फोड़ा ठीकरा

बोलीं, यदि सीएम ने सही फैसला लिया होता तो यूपी में नहीं हारते

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव में भाजपा की सबसे बुरी हार यूपी में हुई है। इस हार के बाद भाजपा में तो कलह मचा ही हुआ है, अब साथी दल भी भाजपा नेताओं को दोषी ठहराने लगे हैं। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने तो यूपी में हार का ठीकरा सीधे सीएम योगी आदित्यनाथ पर फोड़ते हुए उनके कुछ पैâसलों को हार का जिम्मेदार ठहराया है।
एनडीए के सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में भाजपा को हुए नुकसान का एक कारण ६९ हजार शिक्षकों की भर्ती को लेकर आरक्षण के मसले पर योगी सरकार के द्वारा त्वरित कार्रवाई न करना भी रहा है। अनुप्रि‍या ने एक इंटरव्‍यू में यह बात कही है।

यूपी में एनडीए की हार के बाद भड़कीं मंत्री जी
पिछड़े-दलितों के मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगी अनुप्रिया!
-शिक्षकों की भर्ती के मुद्दे पर सीएम योगी को घेरा

उत्तर प्रदेश में गत लोकसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए गठबंधन को जबरदस्त नुकसान हुआ है। इससे भाजपा नेताओं के बीच तो कलह मची ही हुई है, अब एनडीए में शामिल नेता भी भाजपा पर हल्ला बोल कर रहे हैं। एनडीए में शामिल केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने हार के लिए यूपी के सीएम योगी को जिम्मेदार ठहराया है। पिछले महीने ही अनुप्रिया पटेल ने एससी, एसटी और ओबीसी के अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी नहीं मिलने का मुद्दा उठाया था। इसके बाद उन्होंने ६९ हजार शिक्षकों की भर्ती का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि यह अभी तक नहीं सुलझा है। उन्होंने कहा था कि वह पिछड़े-दलितों के मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगी। तीखे तेवर दिखाते हुए उन्होंने योगी सरकार को घेरने की कोशिश की थी।
अनुप्रिया पटेल ने इंटरव्यू में कहा है कि २०२२ के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने ६९,००० शिक्षक भर्ती मसले को केंद्रीय नेतृत्व के सामने उठाया था और तब केंद्रीय नेतृत्व के दखल के बाद एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए ६,८०० सीटों की बढ़ोतरी की गई थी। लेकिन उसके बाद यह मामला अदालत में फंस गया था। अनुप्रिया ने आगे कहा कि २०२२ के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस मसले को हल करने के लिए बहुत गंभीरता से काम नहीं किया, जबकि यह सरकार की जिम्मेदारी थी कि उसे इस मसले को हल करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस मामले में पिछले २ साल से लगातार आंदोलन चल रहा था और राज्य सरकार इस मसले को सुलझाने के लिए गंभीर कदम नहीं उठा रही थी। इसकी वजह से लोग परेशान थे और इस दौरान कुछ विपक्षी राजनीतिक दल आए और उन्होंने लोगों के बीच ऐसा डर का माहौल बनाना शुरू कर दिया कि अगर एनडीए गठबंधन और नरेंद्र मोदी सत्ता में आते हैं तो फिर वह क्या करेंगे और लोगों ने इस बात पर भरोसा कर लिया और इस वजह से चीजें गलत दिशा में चली गर्इं और इसका असर लोकसभा चुनाव के नतीजे में देखने को मिला। अनुप्रिया ने कहा कि उन्होंने अब जब फिर से इन मुद्दों को उठाया है तो उन्हें इस बात का भरोसा दिया गया है कि इन मुद्दों का समाधान किया जाएगा। अनुप्रिया ने कहा कि जब चीजें लंबे वक्त तक खिंच जाती हैं तो इसका असर जरूर होता है।

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