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मुंब्रा हादसे के बाद लोकल के बंद दरवाजे पर छिड़ी ‘जंग’!

-रेल यात्रियों में बंटी राय

१ : बंद दरवाजे से बचेगी जान

२ : भीड़ में लोगों का घुटेगा दम

सामना संवाददाता / मुंबई

सोमवार को मध्य रेलवे के मुंब्रा स्टेशन के नजदीक हुए दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में चार यात्रियों की मौत और ९ के घायल होने के बाद मुंबई में एक बार फिर लोकल ट्रेन के बंद दरवाजों को लेकर जंग छिड़ गई है। इस मामले में रेल यात्रियों के दो गुट बन गए हैं और उनकी राय बंट गई है।
कुछ लोगों का मानना है कि बंद दरवाजे की वजह से यात्रियों की जान बच सकती है, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का मानना है कि बंद दरवाजे होने की वजह से ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, जिससे यात्रियों का दम घुट सकता है। ऐसे में बंद दरवाजे को लेकर विवाद के बढ़ने की संभावना है। फिलहाल, एसी लोकल के दरवाजे ही खुलते और बंद होते हैं। मगर लोकल में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।
ट्रेन लेट होने से बढ़ती है भीड़!
मध्य रेल की लोकल सेवाएं हमेशा देरी से चलती हैं। ट्रेन लेट होने का परिणाम है कि प्लेटफॉर्म पर भीड़ बढ़ती जाती है। लोकल ट्रेनों में दरवाजे तो हैं, पर वे हमेशा खुले रहते हैं। वे खुद से बंद नहीं होते। जब बारिश की तेज बौछारें आती हैं तो यात्री अपने हाथों से उसे बंद करते-खोलते हैं। मुंब्रा हादसे के बाद अब एसी लोकल की तरह सामान्य लोकल में भी ऑटोमेटिक दरवाजे लगाए जाने की मांग होने लगी है।
इस मामले में रेलवे प्रवासी संघ से जुड़े राजेश पंड्या ने बताया कि रेलवे को बंद दरवाजे वाली ट्रेन चलानी चाहिए, ताकि लोगों को चलती ट्रेन से पटरियों पर गिरने से बचाया जा सके। कलवा निवासी यूसुफ ने बताया कि मध्य रेलवे में गेट पर लटककर यात्रा करना आम बात हो गई है। इस मार्ग पर लोकल ट्रेन प्रतिदिन १० से १५ मिनट लेट रहती हैं, ऐसे में भीड़ बढ़ती रहती है। इस वजह से कई लोग अपने दफ्तर समय पर पहुंचने के लिए ट्रेन के फुटबोर्ड पर लटक कर यात्रा करते हैं। ऐसे में बंद दरवाजा एकमात्र उपाय है, जिससे लोगों की जान बच सकती है। इसके अलावा कई यात्री ऐसे हैं, जो रेलवे के इस आइडिया के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि एसी लोकल में बंद दरवाजा सही है, लेकिन नॉन-एसी में दरवाजों को बंद करना मतलब यात्रियों के लिए घुटन पैदा करना। वेंटिलेशन का एकमात्र जरिया खिड़की रहेगी, जिससे स्वच्छ हवा का आना कम हो जाएगा। दूसरी तरफ स्वचलित दरवाजे अगर समय पर बंद नहीं हुए तो ट्रेन लेट हो सकती है। यात्री अर्चना पाल ने बताया कि बंद दरवाजे की वजह से फुटबोर्ड पर यात्रा करने वाले लोग नहीं रहेंगे, जिससे अन्य ट्रेनों में भीड़ बढ़ सकती है।
कार्बन डाई ऑक्साइड बढ़ेगी
कल्याण में रहनेवाले तेवर सिंह ने बताया कि बंद दरवाजे होने की वजह से गिरने का खतरा तो नहीं रहेगा, लेकिन कोच में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाएगी, जिससे महिलाओं व बुजुर्गों को सांस लेने में समस्या आ सकती है।
दरवाजे पर लगेंगे लूवर्स
हादसे के बाद जागी रेलवे का कहना है कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि नए नॉन-एसी कोच अलग तरीके से डिजाइन और निर्मित किए जाएंगे, जिससे वेंटिलेशन की समस्या का समाधान हो सके। दरवाजों में लूवर्स (हवादार पट्टियां) लगाए जाएंगे, ताकि बंद दरवाजों के बावजूद हवा का प्रवाह बना रहे।

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