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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाई कोर्ट की निगरानी में मुंबई की वेटलैंड!

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के तीन प्रमुख वेटलैंड नंदुर मध्यमेश्वर वन्यजीव अभ्यारण्य, लोनार झील, और ठाणे क्रीक फ्लेमिंगो अभ्यारण्य के संरक्षण और निगरानी के लिए सु-मोटो कार्यवाही शुरू की है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के ११ दिसंबर २०२४ के आदेश के बाद उठाया गया, जिसमें पूरे देश में वेटलैंड के संरक्षण की सख्त आवश्यकता जताई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने २०१७ में उच्च न्यायालयों को आदेश दिया था कि वे अपने क्षेत्राधिकार में स्थित ५९ वेटलैंड का संरक्षण सुनिश्चित करें। इसी आदेश के तहत मुंबई हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के तीन प्रमुख वेटलैंड को संरक्षण और निगरानी के तहत लाने के लिए कार्यवाही शुरू की। २०१८ में पर्यावरणविद् आनंद आर्य, वकील एम.के. बालकृष्णन और एनजीओ वनशक्ति ने एक जनहित याचिका (पीआइएल) दायर की थी। इस याचिका में २६ और वेटलैंड को निगरानी के तहत लाने की अपील की गई थी। इन स्थलों में पटना, मुंबई, कर्नाटक, गुवाहाटी और उत्तराखंड के क्षेत्र शामिल थे। इस याचिका के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने २०२४ में इन की सु-मोटो निगरानी की दिशा में कदम उठाने का आदेश दिया। उक्त आदेश जस्टिस सुधांशु धुलिया और एहसनुद्दीन अमानुल्ला की खंडपीठ ने देशभर में ८५ वेटलैंड के मामले में दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की वेटलैंड ऑथॉरिटीज को इन जगहों का संरक्षण करना होगा। इसके लिए संबंधित नोडल विभागों के साथ समन्वय किया जाएगा।

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