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बाघों के बाद अब तेंदुए में `बर्ड फ्लू’ …प्राणी संग्रहालय-बचाव केंद्रों को चेतावनी

सामना संवाददाता / मुंबई
नागपुर के गोरेवाड़ा वन्यजीव बचाव केंद्र में जहां एवियन इन्फ्लूएंजा (एच५एन१) वायरस से तीन बाघ और एक तेंदुए की मौत हो गई, वहीं अब चंद्रपुर के ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर में दो तेंदुए एच५एन१ वायरस से संक्रमित हो गए हैं। ऐसे में अब ये साफ हो गया है कि इस वायरस का खतरा सिर्फ पक्षियों को ही नहीं, बल्कि जानवरों को भी है। चंद्रपुर के ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर से एक बाघ को गोरेवाड़ा बचाव केंद्र भेजा गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि गोरेवाड़ा प्रशासन इसे वैâसे संभालेगा। ११ दिसंबर, २०२४ को चंद्रपुर जिले के ताडोबा-अंधारी बाघ परियोजना से दो बाघों, जबकि १६ दिसंबर को एक बाघ को गोरेवाड़ा के बचाव केंद्र में स्थानांतरित किया गया था। इन तीनों बाघों के पिंजरे एक दूसरे से सटे हुए थे। तेंदुए वन्यजीव अनुसंधान व प्रशिक्षण केंद्र में थे। साथ ही स्थानांतरण के बाद बाघों के भी स्वास्थ्य की जांच की गई, जिसमें उनमें कोई बीमारी नहीं पाई गई। उनमें `एवियन इन्फ्लुएंजा’ के भी कोई लक्षण नहीं थे। इनमें से दो बाघों और एक तेंदुए की मौत २० दिसंबर को हुई और एक बाघ की मौत २३ दिसंबर को हुई।

चंद्रपुर ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर में क्या हुआ?
चंद्रपुर ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर में दो तेंदुओं का एच५एन१ वायरस का परीक्षण किया गया। नमूने भोपाल में आईसीएआर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज भेजे गए थे। इसकी रिपोर्ट आ गई है और भोपाल की प्रयोगशाला ने यह रिपोर्ट सकारात्मक दी है। इसके अलावा ही ताडोबा-अंधारी बाघ परियोजना में जटायु परियोजना के तहत छोड़े गए तीन सफेद गिद्धों की बर्ड फ्लू से मौत हो गई। चूंकि इन गिद्धों को केवल एक बार औषधियुक्त चिकन खिलाया गया था इसलिए विशेषज्ञों ने जंगली स्रोतों से वायरस पैâलने की संभावना व्यक्त की है।

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