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एजेंसियों के होश उड़े…जी-२० बैठक से पहले घाटी में पहुंचे घातक हथियार!

  • अफगानिस्तान में छूटी नाटो की राइफल्स कश्मीरी आतंकियों के हाथ लगी
  • तालिबान से जुड़े तार

सामना संवाददाता / जम्मू
देश की सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ गए हैं। जी-२० की बैठक होने वाली है। उससे पहले ही कश्मीर घाटी में घातक हथियार कश्मीरी आतंकियों के हाथ लगे है। दरअसल, २०२१ में अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद `नाटो’ सेनाओं के अनेक हथियार और गोला-बारूद वहीं पर छूट गए थे। तालिबान के कब्जे में आए वे घातक हथियार, अब पाकिस्तान के रास्ते जम्मू-कश्मीर तक पहुंच रहे हैं। इस आशंका ने भारत की सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। गत दिनों पुंछ में हुए हमले की जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि तालिबान के पास मौजूद अमेरिकन एम-१६ राइफल व एम-४ कार्बाइन जैसे हथियार, जम्मू-कश्मीर में सक्रिय पाकिस्तानी आतंकी संगठन `लश्कर-ए-तैयबा’ और `जैश-ए-मोहम्मद’ के हाथ लगे हैं। हालांकि, अभी इनकी संख्या तय नहीं है। इनके अलावा अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुई `स्टील बुलेट’ पहले से ही घाटी में मौजूद हैं।
गौरतलब है कि अफगानिस्तान से नाटो सैनिकों के वापस लौटने के बाद ८५ बिलियन डॉलर के एयरक्रॉफ्ट, बख्तरबंद गाड़ियां, रॉकेट डिफेंस सिस्टम, मशीन गन और असॉल्ट राइफल सहित भारी मात्रा में गोला-बारूद पर तालिबान का कब्जा हो गया था। हालांकि, अमेरिका ने दावा किया था कि उसने तालिबान के हाथ लगे अपने अत्याधुनिक एयरक्रॉफ्ट, बख्तरबंद गाड़ियां व रॉकेट डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय कर दिया है। अफगानिस्तान में ४ सीब-१३० ट्रांसपोर्ट्स, २३ एंब्रेयर ईएमबी ३१४/ए-२९ सुपर सुकानो, २८ सेसेना २०८, १० सेसेना एसी-२०८ स्टाइक एयरक्रॉफ्ट’ फिक्स्ड विंग एयरक्रॉफ्ट बताए गए हैं। इनके अलावा ३३ एमआई-१७, ३३ यूएच-६० ब्लैकहॉक व ४३ एमडी ५३० हेलीकॉप्टर भी हैं। अमेरिकी २२,१७४-ह्मवे, ६३४ एमआई ११७, १५५ एमएक्सएक्स प्रो माइन प्रूफ व्हीकल, १६९ एमआई १३ आर्म्ड पर्सनल केरियर, ४२,००० पिकअप ट्रक एंड एसयूवी, ६४,३६३ मशीन गन, ८००० ट्रक, १,६२,०४३ रेडियो, १६,०३५ नाइट गॉगल, ३,५८,५३० असॉल्ट राइफल, १,२६,२९५ पिस्टल और १७६ आर्टलरी पीस भी तालिबान के कब्जे में बताए गए हैं।
कहां हैं सेना के वाहन पर
हमला करने वाले आतंकी?
सुरक्षा एजेंसियों के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, पुंछ हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे। उसके बाद शुरू हुए सर्च ऑपरेशन में कई एजेंसियां लगी हैं लेकिन अभी तक आतंकियों का सुराग नहीं लग सका है। यह आशंका जताई गई है कि तालिबान से मिले हथियारों के जरिए पुंछ हमले को अंजाम दिया गया है। आतंकियों ने स्टील बुलेट इस्तेमाल की थीं। ये बुलेट किसी भी बख्तरबंद गाड़ी को भेद सकती हैं। सामान्य बुलेटप्रूफ जैकेट और पटका, इससे बचाव नहीं कर पाते। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पाकिस्तान से आए आतंकियों ने पुंछ में सेना के वाहन पर हमला किया हो और उसके बाद वे वापस सीमा पार कर गए हों।
देश में हर जगह पर
लेवल-४ बुलेटप्रूफ कवच नहीं
सूत्रों का कहना है कि अगर तालिबान से घातक अमेरिकन राइफलें और स्टील गोलियां, घाटी में पहुंच गई हैं तो ये सुरक्षा बलों के लिए चिंता का विषय है। दरअसल, देश में ज्यादातर बुलेटप्रूफ वाहन, मोर्चा, जैकेट और पटका लेवल-३ श्रेणी वाले होते हैं। स्टील की गोलियां यानी आर्मर पियर्सिंग इंसेंडरी (एपीआई) इन्हें भेद देती हैं। देश में हर जगह पर लेवल-४ बुलेटप्रूफ कवच नहीं है। इस कवच को केवल चुनिंदा ऑपरेशनों में ही इस्तेमाल किया जाता है।

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