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सही और गलत की पहचान मिटा देगा एआई! … एआई के जनक ने ही जताई संभावना

मोबाइल फोन और कंप्यूटर आज हर शख्स के हाथ की शोभा बन चुका है। इनके जरिए काफी सारे काम आसान हो गए हैं। अब तो ये डिवाइस आपके टेस्ट को भी पहचानने लगे हैं और आपकी किसी भी समस्या का हल चुटकियों में निकाल देते हैं। इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाई है ‘एआई’ यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने। आप यूट्यूब पर कोई वीडियो देखते हैं तो आपकी रुचि को देखकर यूट्यूब जब वैसी ही वीडियो सजेस्ट करने लगता है तो वह एआई का ही कमाल है। या फिर हाल ही में आया चैट जीपीटी भी इस एआई का ही कमाल है, जो चुटकियों में आपके द्वारा पूछे गए किसी भी सवाल का जवाब दे देता है। मगर इस एआई का बुरा इस्तेमाल भी हो सकता है और इसके जनक जेफ्री हिंटन ने इस बारे में सचेत भी किया है। हिंटन ने संभावना जताई है कि आनेवाले दिनों में एआई का दुरुपयोग होने की संभावना है और यह सही और गलत की पहचान मिटा देगा।
एआई के गॉडफादर माने जानेवाले जेफ्री हिंटन ने हाल ही में गूगल छोड़ दिया। हिंटन का कहना है कि जिस तकनीक को विकसित करने में मदद की, उसके बड़े ‘खतरे’ भी हैं। हिंटन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कई प्रोडक्ट को विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। हिंटन ने गूगल की एआई को विकसित करने के लिए एक दशक तक काम किया। हिंटन अपने काम में कितने एक्सपर्ट हैं यह इसी से समझा जा सकता है कि वे उत्तम कार्य के लिए कंप्यूटिंग का नोबेल पुरस्कार पा चुके हैं।
अब यह समझना महत्वपूर्ण है कि आखिर जिस हिंटन ने गूगल के एआई को विकसित किया वह अपनी इस खोज को लेकर चिंतित क्यों है? दरअसल, आज कंप्यूटर और फोन हर शख्स के जीवन में घुसपैठ कर चुका है। इस समय फोन पर हजारों ऐसे ऐप्स हैं, जिनमें एआई तकनीक का प्रयोग हो रहा है। इस तकनीक से आप किसी व्यक्ति की तस्वीर में बदलाव ला सकते हैं। ऐसे बदलाव कि वो असली लगे। आप आवाज में बदलाव ला सकते हैं। ऐसे में असली और नकली का फर्क मिट जाएगा। सुनने में यह भले ही छोटी बात लगे पर इसके खतरे काफी बड़े हैं। आज आप सोशल मीडिया पर ऐसी कई तस्वीरें और वीडियो देखते हैं, जो दिखते तो असली जैसे हैं पर वो मार्फ किए होते हैं। यानी उनके साथ छोड़छाड़ की गई होती है। आज साइबर क्रिमिनल्स भी इसका इस्तेमाल करने लगे हैं। यह सेक्सटॉर्शन का एक जरिया भी बन चुका है। आज कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें धमकी दी गई कि पैसे दो वरना तुम्हारा सेक्स वीडियो वायरल कर दिया जाएगा। ये वीडियो इस तरह मार्फ कर तैयार किए जाते हैं, जो एकदम असली लगते हैं। ऐसे में आदमी डर से पैसे दे देता है। शायद इसीलिए हिंटन कहते हैं कि आज सबसे जरूरी बात यह है कि इस तकनीक को हम गलत इस्तेमाल या बुरे लोगों के हाथों में जाने से वैâसे रोक सकते हैं? वाकई हिंटन इस खतरे को इन शब्दों में बयां करते हैं कि एआई के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को रोकना असंभव हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप इतनी नकली इमेज और टेक्स्ट वाली दुनिया होगी कि कोई भी यह नहीं बता पाएगा कि सच क्या है, जो कि काफी भयानक हो सकता है।

एआई से बेरोजगारी बढ़ने की संभावना
जानकारों का मानना है कि एआई से भविष्य में बेरोजगारी बढ़ेगी। एआई के पूर्ण उपयोग से जब सॉफ्टवेयर १० लोगों का काम अकेले ही कर देगा तो बेरोजगारी बढ़ेगी ही। वैसे भी जो हालात हैं, उनमें हिंदुस्थान में अगले ५ साल में एआई समेत अन्य सेक्टर में ६.९ करोड़ नए रोजगार भले ही मिलने की बात कही जा रही हो, पर ८.३ करोड़ की छंटनी भी होगी। इसके साथ ही अगले पांच वर्षों में रोजगार में बदलाव की दर २२ प्रतिशत रहने का अनुमान है।

आपकी आवाज में झांसा देगा एआई
• परिचितों की आवाज में हो रही ठगी
• केंद्र सरकार ऐसे कॉल रोक पाने में नाकाम
यदि आपके पास भी परिवार के किसी सदस्य का फोन या किसी दोस्त का वॉयस मैसेज आता है तो सावधान रहें। नहीं तो भारी नुकसान हो सकता है। ठगों ने लोगों को चूना लगाने के लिए अब नया तरीका ईजाद कर लिया है। वे एआई तकनीक से आवाज बदलकर लोगों को स्पैम कॉल कर रहे हैं। ये ठग अब सगे-संबंधियों की आवाज की नकल करके लोगों से पैसे मांग रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से स्पैम कॉल को रोकने के लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन सरकार को सफलता नहीं मिल रही है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया भी इसके लिए हर संभव प्रयास कर रहा है लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा। ट्राई ने स्पैम कॉल को रोकने के लिए मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल किया लेकिन वह भी फेल रहा। आश्चर्य की बात यह है कि ये स्पैम वॉयस कॉल एआई के जरिए ही किए जा रहे हैं। यह एक तरह का वॉयस स्वैâम है। करीब ४७ फीसदी वयस्क हिंदुस्थानी इस समस्या से जूझ रहे हैं। ८३ फीसदी हिंदुस्थानियों ने दावा किया है फोन पर आवाज न पहचान पाने के कारण उन्होंने ५०,००० रुपए से भी अधिक गंवाए हैं। अब देखना है कि इस नई तरह की ठगी पर रोक लगाने के लिए सरकार क्या कदम उठाती है!

आवाज पहचानना मुश्किल
सर्वे में शामिल ६९ फीसदी हिंदुस्थानियों ने कहा कि एआई और असली आवाज पहचाने में उन्हें परेशानी होती है। वहीं ६६ फीसदी ने कहा कि वे दोस्तों की आवाज में आए वॉयसमेल या वॉयस मैसेज का जवाब देते हैं। इनमें से अधिकतर मैसेज पैसे की जरूरत को लेकर होते हैं। पैसे मांगने के बहाने में ७० फीसदी लूट वाले होते हैं। यानी जो वॉयसमेल आता है, उसमें दावा किया गया होता है कि उनके साथ लूट हो गई है और उन्हें पैसे की जरूरत है। ६९ फीसदी मैसेज कार एक्सिडेंट वाले और ६५ फीसदी फोन चोरी या पर्स गुम होने के बहाने वाले होते हैं। तो अब यदि आपके पास कोई इस तरह का कॉल आता है तो पहले उसकी जांच करिएगा और उसके बाद ही मदद के लिए आगे बढ़िएगा, नहीं तो आपको भारी नुकसान हो सकता है।

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