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जयंत चौधरी के एनडीए में शामिल होने की संभावना पर बोले अखिलेश, शिवपाल व डिंपल

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के एनडीए में जाने की अफवाह के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी बहुत सुलझे हुए इंसान हैं। वो बहुत पढ़े-लिखे हैं। वे राजनीति को समझते हैं। मुझे उम्मीद है कि किसानों की लड़ाई के लिए जो संघर्ष चल रहा है, वे उसे कमजोर नहीं होने देंगे। इसके पहले शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि जयंत चौधरी हमारे साथ हैं, वो कहीं नहीं जा रहे हैं। भाजपा के लोग मीडिया के माध्यम से अफवाह उड़ा रहे हैं। सपा सांसद व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने कहा कि जिस तरह भाजपा सरकार किसानों के विरुद्ध काम कर रही है, बजट में किसी भी प्रकार की एमएसपी का जिक्र नहीं है, भाजपा के द्वारा जो हमारी पहलवान बहनों का अपमान हुआ है, मैं नहीं मानती कि आरएलडी के नेता जयंत चौधरी इस तरह का कोई कदम उठाएंगे, जिससे किसानों को नुकसान पहुंचे।

सूत्रों के अनुसार, रालोद ने भाजपा से वैâराना, अमरोहा, बागपत, मथुरा व मुजफ्फरनगर सीट मांगी थी। भाजपा इनमें से वैâराना, अमरोहा और बागपत सीट देने के लिए तैयार है। मुज्जफरनगर व मथुरा की सीट पर पेच फंसा है। भाजपा पश्चिमी यूपी में मुस्लिम बहुल सीटों के लिए रालोद को साधना चाहती है। रालोद के एनडीए गठबंधन में शामिल होने से मंत्री पद भी मिलने की संभावना है। जबकि भाजपा पश्चिमी यूपी में मुस्लिम बहुल सीटों के लिए रालोद को साधना चाहती है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव रालोद से गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं। सीटें चिह्नित करने और सपा की ओर से तीन सीटों पर रालोद के चुनाव निशान पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने की शर्त पर पेच फंस गया।

सपा चाहती है कि वैâराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर में प्रत्याशी सपा का हो, जो रालोद के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे। सपा के समक्ष मुजफ्फरनगर सीट पर रालोद ने दावा ठोका था, जहां बीते चुनाव में दिवंगत अजीत सिंह महज छह हजार मतों से हार गए थे। रालोद नेताओं ने वैâराना और बिजनौर सीट सपा के बताए प्रत्याशियों को देने पर सहमति भी दे दी थी। लेकिन मुजफ्फरनगर और हाथरस सीट को लेकर दोनों दलों के बीच दूरियां बन गर्इं। इसी दौरान चर्चा शुरू हो गई कि रालोद अध्यक्ष की भाजपा से गठबंधन की बात हुई है। बातचीत की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन सियासी गलियों में सबने अपने-अपने समीकरण लगाने शुरू कर दिए। रालोद नेतृत्व ने अभी तक न तो इंकार किया और न ही इकरार, जिस कारण चर्चाओं ने दिनभर तेजी पकड़ी।

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