हाशिए पर पड़ी जातियों को होगा फायदा
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/जनजाति को मिलने वाले आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य अपने यहां की वंचित जातियों के विकास के लिए एससी/एसटी वर्ग को मिलने वाले कोटे के अंदर कोटा बना सकते हैं। इस फैसले से स्पष्ट है कि राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के लिए सब कैटेगरी बना सकती हैं, और इसे लेकर कानून बनाने में भी समक्ष होंगी। कोर्ट ने अपने इस ऐतिहासिक फैसले में एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर को लागू करने की भी बात कही है।
‘फैसला गुणवत्ता के विरुद्ध नहीं’
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोटा के भीतर कोटा गुणवत्ता के विरुद्ध नहीं है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाले लोग अक्सर सिस्टम के भेदभाव के कारण प्रगति की सीढ़ी पर आगे नहीं बढ़ पाते। सब वैâटेगरी संविधान के अनुच्छेद १४ के तहत निहित समानता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करती। हालांकि, राज्य अपनी मर्जी या राजनीतिक लाभ के आधार पर सब वैâटेगरी तय नहीं कर सकते और उनके पैâसले न्यायिक समीक्षा के अधीन होंगे।
जजों ने क्या कहा
जस्टिस विक्रम नाथ ने इस पैâसले से सहमति जताते हुए कहा कि ओबीसी पर लागू क्रीमी लेयर का सिद्धांत एससी/एसटी आरक्षण पर भी लागू हो। वहीं जस्टिस पंकज मित्तल ने कहा कि आरक्षण एक पीढ़ी तक सीमित होना चाहिए। अगर एक पीढ़ी आरक्षण के जरिये हाई स्टेटस तक पहुंच गई है, तो अगली पीढ़ी इसकी (आरक्षण की) हकदार नहीं होनी चाहिए। जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने भी इस विचार का समर्थन किया है।
कोर्ट ने पुराने फैसले को पलटा
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ६-१ के बहुमत से यह फैसला सुनाया। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने २००४ के अपने पुराने फैसले को पलट दिया है। हालांकि, कोर्ट का यह भी कहना था कि सब कैटेगरी का आधार उचित होना चाहिए। कोर्ट के पैâसले से पंजाब अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग अधिनियम, २००६ और तमिलनाडु अरुंथथियार अधिनियम पर भी मुहर लग गई है।