–सुरेश एस डुग्गर–
जम्मू। जी-२० की तीन दिवसीय बैठक के लिए सरकार ने अपनी सारी ताकत झोंक दी है। सेना, नौसेना, वायुसेना, एनएसजी और तमाम सुरक्षाबलों के हजारों जवान पिछले एक हफ्ते से चौबीसों घंटें सतर्क हैं पर बावजूद इसके सरकार आशंकित है। इसी आशंका के चलते विदेशी मेहमानों के गुलमर्ग और डाचीगाम के दौरे को कथित तौर पर रद्द कर दिया गया है। सुरक्षा प्रबंध जम्मू संभाग के लखनपुर से लेकर कश्मीर के गुलमर्ग की एलओसी की अंतिम सीमा चौकी तक हैं, जिसे भेदने की कोशिशें पाकिस्तान द्वारा की जा रही हैं।
डल झील के पानी पर नौसेना के मार्कोस, केरिपुब के कमांडो, बीएसएफ की महिला कमांडो और अन्य सभी सुरक्षाबलों के जवान दिन-रात गश्त कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जी-२० की बैठक में जिन विदेशी मेहमानों को शामिल होना है, वे डल झील में शिकारों पर बैठकर चांदनी को निहारना चाहते हैं। हालांकि, प्रशासन की ओर से इसकी पुष्टि तो नहीं की गई है पर बताया जा रहा है कि इन विदेशी मेहमानों को डाचीगाम के अभयरण्य में भी जाना था वह अब कैंसिल कर दिया गया है।
हालांकि, प्रशासन और पुलिस बार-बार दावा कर रही है कि इन सुरक्षा प्रबंधों से किसी को कोई तकलीफ नहीं पहुंच रही है पर जम्मू से लेकर कश्मीर तक हजारों स्थानों पर नाके और तलाशी अभियान जन-जीवन को अस्त व्यस्त कर चुके हैं। कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी और अन्य कश्मीरी िंहदू कश्मीर को त्याग चुके हैं।
अब तो पुंछ में आज और दो दिन पहले उरी में घुसपैठ के दौरान मारे गए दो घुसपैठियों के मामलों को भी जी-२० की बैठक के साथ जोड़ा जा रहा है। यही नहीं गुलमर्ग के एक फाइव स्टार होटल से कुछ दिन पहले पकड़े गए एक आतंकी ओजीडब्ल्यू की गिरफ्तारी के बाद बताया जा रहा है कि सरकार विदेशी मेहमानों के गुलमर्ग दौरे के प्रति पुनर्विचार कर रही है। यह दावा किया जा रहा है कि फाइव स्टार होटल में ड्राइवर की नौकरी करने वाले ओजीडब्ल्यू को विदेशी मेहमानों को बंधक बनाने की योजना का हिस्सा बनाते हुए उसे आतंकियों को इन मेहमानों तक पहुंचाने का टास्क दिया गया था।
फिलहाल, मामले पर गहरी चुप्पी साधी जा चुकी है। सरकार सुरक्षा के मोर्चे पर इसे बहुत बड़ी नाकामी मान रही है। सूत्रों के अनुसार, खुफिया अधिकारियों के आग्रह पर अब विदेशी मेहमानों के गुलमर्ग दौरे पर मंथन चल रहा है।