मुख्यपृष्ठनए समाचारअल्जाइमर की शिकार महायुति सरकार! ...भूल गई थी अपनी ही योजना

अल्जाइमर की शिकार महायुति सरकार! …भूल गई थी अपनी ही योजना

-छह महीने के बाद आई याद
-ट्रॉमा यूनिट में बिठाएगी ब्रेन स्कैनर मशीन

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महायुति सरकार अल्जाइमर नामक भूलने वाली बीमारी की शिकार हो गई है। यही कारण है कि छह महीने पहले तैयार योजना के प्रस्ताव की अब जाकर याद आई है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से बताया गया है कि योजना के तहत राज्य के १० ट्रामा केयर यूनिट में ३.४० करोड़ की लागत से २० ब्रेन स्वैâनर मशीन लगाई जाएगी। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से शासनादेश भी जारी किया गया है। लेकिन अभी भी स्वास्थ्य अधिकारियों को संदेह है कि मशीन लगाने में अभी और वक्त लग सकता है।
उल्लेखनीय है कि घाती सरकार के पास स्वास्थ्य सेवा के सह निदेशक ने २८ फरवरी को तैयार किए गए प्रस्ताव को मंजूरी के लिए भेजा था। इस प्रस्ताव के तहत स्वास्थ्य विभाग के अधीनस्थ १७ जिला, सात सामान्य अस्पतालों और दो विभागीय संदर्भ सेवाओं में ५४ ब्रेन स्वैâनर मशीन बिठाने की तैयारी की गई थी। इसे १२ जून को मंजूरी दे दी गई थी। हालांकि, बाद में ५४ में से ३४ ब्रेन स्वैâनर मशीन लगाने के लिए घाती सरकार तैयार हुई थी। इसके तहत ५.७८ करोड़ रुपए की प्रस्तावित लागत के साथ एकल स्रोत विधि के माध्यम से सीधी खरीद की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए प्रशासनिक मंजूरी का अनुरोध किया गया था, जिसे २७ जून को मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद अब जाकर ३.४० करोड़ रुपए की लागत से शेष २० ब्रेन स्कैनर मशीन की खरीदी को मंजूरी दी गई है। इन सबके बीच योजना को घाती सरकार की तरफ से गति नहीं दी गई। ऐसे में मंजूर किया गया यह प्रस्ताव पिछले छह महीने से धूल फांक रहा था।

एक ट्रामा यूनिट में लगेंगी दो मशीनें
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कहा गया है कि जिन जिला अथवा सामान्य अस्पतालों में ट्रामा यूनिट कार्यरत हैं, वहां दो मशीनें लगाई जाएंगी। ब्रेन स्वैâनर मशीन से सिर के अंदर की तस्वीरें ली जाती हैं, जिससे मस्तिष्क की ३डी छवि बनती है। ब्रेन स्वैâन के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनें, आम तौर पर सीटी स्वैâनर या एमआरआई स्वैâनर मशीनें होती हैं। इन मशीनों से मिलने वाली जानकारी से डॉक्टरों को मस्तिष्क से जुड़ी कई तरह की जानकारी मिलती है।

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