गज़ब के नैन नक्श

 

गज़ब के नैन -नक्श
खासकर तेरी कातिल आंखें
खुद खुदा को यकीन नहीं हो रहा है
सोच में पड़ गए कि क्या मैंने ही,
मगर कब और क्यों इसे तराशा है?
दुबारा कहोगे तो शायद ये चुनौती* मुझे मुश्किल में डाल देगी।
चंद घड़ियां मुझे भी निहार लेने दो
कुछ सुकून मेरे हिस्से भी तो आना चाहिए।
ऐसे “हसीं करिश्में” कभी कभार ही
जन्नत से जमीन पर उतारे जाते हैं।
“दिल चीज़ क्या है, आप मेरी जान लीजिए ”
खुदाया ख़ैर… शब्बा खैर… खुदा हाफ़िज़।
•त्रिलोचन सिंह अरोरा

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